भारत का सबसे बड़ा गुरुद्वारा : स्वर्ण मंदिर, अमृतसर

भारत का सबसे बड़ा गुरुद्वारा : स्वर्ण मंदिर, अमृतसर

India's largest Gurudwara : Golden Temple, Amritsar

यहाँ पढ़िये भारत के सबसे बड़े गुरुद्वारे, स्वर्ण मंदिर के बारे में, जो कि पंजाब राज्य के अमृतसर जिले में स्थित है। Read here about India's largest Gurudwara, the Golden Temple, located in the Amritsar district of the state of Punjab.

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  • 04, Apr, 2022
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भारत का सबसे बड़ा गुरुद्वारा

स्वर्ण मंदिर, अमृतसर, पंजाब

भारत का सबसे बड़ा गुरुद्वारा स्वर्ण मंदिर है, जो पंजाब राज्य के अमृतसर में स्थित हैं और यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। स्वर्ण मंदिर सिख धर्म के धर्मावलंबियों का सबसे मुख्य व पावन धार्मिक स्थल या सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है, जिसे श्री हरमंदिर साहिब (पंजाबी भाषा: ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ; हरिमंदर साहिब, हरमंदिर साहिब) या श्री दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है। इस गुरुद्वारे में केवल सिख धर्म के लोग ही नहीं बल्कि देश विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।

अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण गुरु राम दास ने स्वयं अपने हाथों से किया था। यह गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचोबीच स्थित है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे 'स्वर्ण मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर बीते समय में मंदिर मरम्मत के काम को लेकर सुर्खियों में रह चुका है जोकि पर्यावरण के प्रति सचेत रहने का एक प्रयास था।

 

द्वार

श्री हरिमन्दिर साहि‍ब के चार द्वार हैं। इनमें से एक द्वार गुरु राम दास सराय का है। इस सराय में अनेक विश्राम-स्थल हैं। विश्राम-स्थलों के साथ-साथ यहां चौबीस घंटे लंगर चलता है, जिसमें कोई भी प्रसाद ग्रहण कर सकता है। श्री हरिमन्दिर साहिब में अनेक तीर्थस्थान हैं।

 

अकाल तख्त

गुरुद्वारे के बाहर दाईं ओर, मंदिर से 100 मी. की दूरी पर स्वर्ण जड़ि‍त, अकाल तख्त है। अकाल तख्त का निर्माण सन् 1606 में किया गया था। इसमें एक भूमिगत तल है और पांच अन्य तल हैं। इसमें एक संग्रहालय और सभागार है। यहाँ दरबार साहिब स्थित है। उस समय यहाँ कई अहम फैसले लिए जाते थे। संगमरमर से बनी यह इमारत देखने योग्य है। इसके पास शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समि‍ति‍ का कार्यालय है, यहाँ पर सरबत खालसा की बैठकें होती हैं। जहां सिक्ख पंथ से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय इसी सभागार में लिए जाते हैं।

स्वर्ण मंदिर परिसर में स्थित सभी पवित्र स्थलों की पूजा स्वरूप भक्तगण अमृतसर के चारों तरफ बने गलियारे की परिक्रमा करते हैं। इसके बाद वे अकाल तख्त के दर्शन करते हैं। अकाल तख्त के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु पंक्तियों में स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करते हैं।

 

दुखभंजनी बेरी वृक्ष

यहाँ एक दुखभंजनी बेरी नामक स्थान है, जिसे एक तीर्थस्थल माना जाता है। इसे बेर बाबा बुड्ढा के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जब स्वर्ण मंदिर बनाया जा रहा था, तब बाबा बुड्ढा जी इसी वृक्ष के नीचे बैठे मंदिर के निर्माण कार्य पर नजर रखे हुए थे।

 

सरोवर

स्वर्ण मंदिर, सरोवर के बीच में मानव निर्मित द्वीप पर बना हुआ है। पूरे मंदिर पर सोने की परत चढ़ाई गई है। यह मंदिर एक पुल द्वारा किनारे से जुड़ा हुआ है। झील में श्रद्धालु स्नान करते हैं। यह झील मछलियों से भरी हुई है।

 

पवित्र अमृत सरोवर में स्नान का इतिहास

गुरुद्वारे की दीवार पर अंकित किंवदंती के अनुसार, एक बार एक पिता ने अपनी बेटी का विवाह कोढ़ ग्रस्त व्यक्ति से कर दिया। उस लड़की को यह विश्वास था कि हर व्यक्ति के समान वह कोढ़ी व्यक्ति भी ईश्वर की दया पर जीवित है। वही उसे खाने के लिए सब कुछ देता है। एक बार वह लड़की शादी के बाद अपने पति को इसी तालाब के किनारे बैठाकर गांव में भोजन की तलाश के लिए निकल गई। तभी वहाँ अचानक एक कौवा आया, उसने तालाब में डुबकी लगाई और हंस बनकर बाहर निकला। ऐसा देखकर कोढ़ग्रस्त व्यक्ति बहुत हैरान हुआ। उसने भी सोचा कि अगर में भी इस तालाब में चला जाऊं, तो कोढ़ से निजात मिल जाएगी। यह सोच उसने तालाब में छलांग लगा दी और बाहर आने पर उसने देखा कि उसका कोढ़ नष्ट हो गया। 

यह वही सरोवर है, जिसमें आज हर मंदिर साहिब स्थित है। तब यह छोटा सा तालाब था, जिसके चारों ओर बेरी के पेड़ थे। तालाब का आकार तो अब पहले से काफी बड़ा हो गया है, तो भी उसके एक किनारे पर आज भी बेरी का पेड़ है। यह स्थान बहुत पावन माना जाता है। यहां भी श्रद्धालु माथा टेकते हैं।

परंपरा यह है कि यहाँ जाने वाले श्रद्धालुजन सरोवर में स्नान करने के बाद ही गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं। जहां तक इस विशाल सरोवर की साफ-सफाई की बात है, तो इसके लिए कोई विशेष दिन निश्चित नहीं है। लेकिन इसका पानी लगभग रोज ही बदला जाता है। इसके लिए वहां फिल्टरों की व्यवस्था है। इसके अलावा पांच से दस साल के अंतराल में सरोवर की पूरी तरह से सफाई की जाती है। इसी दौरान सरोवर की मरम्मत भी होती है। इस काम में एक हफ्ता या उससे भी ज्यादा समय लग जाता है। यह काम यानी कार्य सेवा मुख्यत: सेवादार करते हैं, पर उनके अलावा आम संगत भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है।

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