Rudraksha: Importance and rules of wearing.
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हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना के लिए रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। "रुद्र" शब्द का अर्थ है "शिव" और "अक्ष" का अर्थ है "आँसू"। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने सृष्टि के लिए तपस्या की, तो उनके आँसू धरती पर गिरे और उनसे रुद्राक्ष के पेड़ उग आए।
रुद्राक्ष का महत्व:
- भगवान शिव का प्रतीक: रुद्राक्ष को भगवान शिव का साक्षात् रूप माना जाता है। इसे धारण करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: रुद्राक्ष धारण करने से मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। यह आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
- ग्रहों की दशा सुधारने में सहायक: ज्योतिष शास्त्र में रुद्राक्ष को ग्रहों की दशा सुधारने के लिए उपयोगी माना जाता है।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ: रुद्राक्ष धारण करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम:
- रुद्राक्ष की माला धारण करने से पहले उसे स्नान कराना चाहिए।
- माला को धारण करने से पहले ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए।
- रुद्राक्ष को हमेशा साफ और पवित्र रखना चाहिए।
- रुद्राक्ष धारण करने के लिए उचित मंत्र और विधि का पालन करना चाहिए।
- महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।
- रुद्राक्ष धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेना उचित है।
रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार:
रुद्राक्ष विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें एक मुखी, दो मुखी, तीन मुखी, पांच मुखी, सात मुखी, ग्यारह मुखी, बारह मुखी, चौदह मुखी आदि प्रमुख हैं। प्रत्येक मुखी रुद्राक्ष के अलग-अलग लाभ होते हैं।
रुद्राक्ष के विभिन्न मुखों के लाभ
रुद्राक्ष को मुखों की संख्या के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, प्रत्येक मुख का अलग महत्व और लाभ होता है। कुछ प्रमुख मुखों के लाभ निम्नलिखित हैं:
एक मुखी:
- भगवान शिव का प्रतीक
- आध्यात्मिक विकास
- मन की शांति
- मोक्ष प्राप्ति में सहायक
दो मुखी:
- अर्धनारीश्वर का प्रतीक
- रिश्तों में सामंजस्य
- संतुलन बनाए रखने में सहायक
तीन मुखी:
- अग्नि देव का प्रतीक
- इच्छा पूर्ति
- साहस
- आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक
चार मुखी:
- ब्रह्मा का प्रतीक
- ज्ञान
- बुद्धि
- विद्यार्जन में सहायक
पांच मुखी:
- पंचमुखी हनुमान का प्रतीक
- बुरी शक्तियों से रक्षा
- मनोबल बढ़ाने
- भय दूर करने में सहायक
छह मुखी:
- कार्तिकेय का प्रतीक
- रोगों से मुक्ति
- स्वास्थ्य लाभ
- दीर्घायु प्रदान करने में सहायक
सात मुखी:
- महालक्ष्मी का प्रतीक
- धन लाभ
- समृद्धि
- वैभव प्राप्त करने में सहायक
आठ मुखी:
- गणेश जी का प्रतीक
- बाधाओं का नाश
- बुद्धि
- विवेक प्रदान करने में सहायक
नौ मुखी:
- दुर्गा देवी का प्रतीक
- शक्ति
- साहस
- आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक
दस मुखी:
- भगवान विष्णु का प्रतीक
- मोक्ष प्राप्ति
- भक्ति
- आध्यात्मिकता बढ़ाने में सहायक
ग्यारह मुखी:
- रुद्र का प्रतीक
- रोगों से मुक्ति
- स्वास्थ्य लाभ
- दीर्घायु प्रदान करने में सहायक
बारह मुखी:
- सूर्य देव का प्रतीक
- नेतृत्व
- आत्मविश्वास
- ऊर्जा प्रदान करने में सहायक
तेरह मुखी:
- कामदेव का प्रतीक
- प्रेम
- आकर्षण
- सुखी वैवाहिक जीवन में सहायक
चौदह मुखी:
- हनुमान जी का प्रतीक
- शक्ति
- साहस
- भय दूर करने में सहायक
पंद्रह मुखी:
- शिव-पार्वती का प्रतीक
- रिश्तों में सामंजस्य
- प्रेम
- सुखी वैवाहिक जीवन में सहायक
सोलह मुखी:
- महादेव का प्रतीक
- मोक्ष प्राप्ति
- आध्यात्मिकता
- ज्ञान में सहायक
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रुद्राक्ष के लाभों को लेकर वैज्ञानिक प्रमाण सीमित हैं और इनका प्रभाव व्यक्तिगत रूप से भिन्न हो सकता है।
निष्कर्ष:
रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, आध्यात्मिक उन्नति होती है और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है। रुद्राक्ष धारण करने से पहले उचित नियमों का पालन करना चाहिए।
यह जानकारी आपको रुद्राक्ष के महत्व और धारण करने के नियमों को समझने में मददगार होगी।