The second day of Navratri is tomorrow; worship Maa Brahmacharini in this auspicious time.
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के स्वरूप ब्रह्माचारिणी की पूजा का महत्व बताया गया है। इस दिन मां की आराधना से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और ज्ञान, तपस्या, और संयम की वृद्धि होती है। पूजा विधि, तिथि, मुहूर्त, भोग, और आरती का विवरण भी दिया गया है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। उनके नाम में ही उनकी शक्तियों का बखान है। "ब्रह्म" का अर्थ है तपस्या और "चारिणी" का अर्थ है आचरण करने वाली। अर्थात, कठोर तप और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है। मान्यता है कि मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा से तप, त्याग, संयम और सदाचार की वृद्धि होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, नवरात्रि की द्वितीया तिथि 4 अक्टूबर को 02:58 बजे से शुरू होगी और 5 अक्टूबर को 05:30 बजे समाप्त होगी। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:51 से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा।
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए ब्रह्ममुहूर्त पर उठकर स्नान करें। इसके बाद आसन बिछाएं और उस पर बैठकर मां की पूजा करें। माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। ब्रह्मचारिणी को पंचामृत और मिठाई का भोग अर्पित करें, साथ ही पान, सुपारी और लौंग भी चढ़ाएं। फिर देवी ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें और अंत में मां की आरती करें।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि चीनी के भोग से व्यक्ति को लंबी आयु और रोगों से छुटकारा मिलता है।
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
मां दुर्गा के इस स्वरूप को अनंत फल देने वाला माना गया है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से ज्ञान बढ़ता है और सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। माता हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखती हैं। मान्यता है कि माता के आशीर्वाद से सभी कार्य पूरे होते हैं और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। माता की आराधना से जीवन में संयम, बल, आत्मविश्वास और धैर्य का विकास होता है। माता की शक्ति के प्रभाव से सभी रोग दूर होते हैं और जीवन में उत्साह और साहस का संचार होता है।