न पराली, न गाड़ी—दिल्लीवालों की सांसों में इस कारण जहर समा रहा है, कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।

न पराली, न गाड़ी—दिल्लीवालों की सांसों में इस कारण जहर समा रहा है, कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।

Neither stubble nor vehicles- this is why Delhiites are breathing poison, the court issued a notice and sought a reply.

दिल्ली के वायु प्रदूषण के मुख्य कारण पराली जलाना या वाहन नहीं, बल्कि थर्मल पावर प्लांट्स हैं। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ये पावर प्लांट्स पराली जलाने से 16 गुना अधिक प्रदूषण फैलाते हैं।

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  • 05, Dec, 2024
Jyoti Ahlawat
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Neither stubble nor vehicles- this is why Delhiites are breathing poison, the court issued a notice and sought a reply.

देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण के रूप में पराली जलाने या वाहनों को दोषी ठहराना सही नहीं है, बल्कि असली जिम्मेदार थर्मल पावर प्लांट्स हैं। इन पावर प्लांट्स से होने वाला प्रदूषण पराली जलाने से भी 16 गुना अधिक होता है, जो वायु को जहरीला बना रहा है। इसके अलावा, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स हर साल 281 किलो टन सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) उत्सर्जित करते हैं। यह तथ्य फिनलैंड स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक 'सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर' (CREA) की रिपोर्ट में सामने आया है।

वहीं, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने वायु प्रदूषण पर मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है और इस रिपोर्ट में CREA के अध्ययन का हवाला दिया गया है।

अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त रुख अपनाया है और इसे वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का उल्लंघन मानते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPCB), हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPC), पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB), वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM), और पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस पीठ में न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल शामिल थे।

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