फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान : युनेस्को विश्व धरोहर स्थल

फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान : युनेस्को विश्व धरोहर स्थल

Valley of Flowers National Park : UNESCO World Heritage Site

यहां पढ़िये भारत के उत्तराखण्ड राज्य के युनेस्को विश्व धरोहर स्थल 'फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान' के बारे में पूरी जानकारी । Read here complete information about the UNESCO World Heritage Site 'Valley of Flowers National Park' in the state of Uttarakhand, India.

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  • 27, Jan, 2022
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फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Valley of Flowers National Park)

फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Valley of Flowers) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में है। यह विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में घोषित विश्व धरोहर स्थल, नन्दा देवी अभयारण्य, नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक भाग है। हिमालय क्षेत्र पिंडर घाटी अथवा पिंडर वैली के नाम से भी जाना जाता है।

फूलों की घाटी (नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान) का जन्म पिंडर से हुआ है जिसे पिंडर घाटी या (Pindar Valley) भी कहते हैं। पिंड+घाटी, पिंड का अर्थ हिम और घाटी का अर्थ पहाड़ों का क्षेत्र जहां महादेव भगवान शिव का निवास होता है जो मुख्य रूप से चमोली जिले के पिंडर घाटी का ही क्षेत्र में स्थित है। पिंडर घाटी देवी देवताओं का निवास स्थान है आज भी पिंडर घाटी में भगवान शिव के गण और देवताओं के वंशज निवास करते हैं व हर वर्ष माता पार्वती नंदा देवी को हिमालय तक भगवान शिव के तपावस्वी स्थान तक पहुंचाने आते हैं जिसे वर्तमान में 'नंदा देवी यात्रा' या 'भगवती भैट' से भी जाना जाता है।

 

भौगोलिक स्थिति

यह उद्यान 87.50 किमी² क्षेत्र में फैला हुआ है।

 

इतिहास व खोज

किंवदंती अनुसार, रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे। इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ (Frank S Smythe) और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ (R.L.Holdsworth) ने लगाया था, जो संंयोग से 1931 में अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे। इसकी बेइंतहा खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में इस घाटी में वापस आये और, 1938 में “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” नाम से एक किताब प्रकाशित करवायी। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की विभिन्न प्रजातियों से सजा यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों व फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बन गया।

 

भ्रमण का बेहतर माैसम

फूलों की घाटी ग्रीष्मकाल में छह माह तक पर्यटकों के लिए खोली जाती है। घाटी के दीदार के लिए जुलाई, अगस्त व सितंबर माह सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान घाटी में सबसे ज्यादा फूल खिले रहते हैं। सितंबर में यहां ब्रह्मकमल खिलते हैं।

 

विभिन्न प्रजातियों के फूल व वनस्पतियां

फूलों की घाटी जैव विविधता से भरी है। यहां कई प्रजाति के फूल और वनस्पतियां पाई जाती हैं, जिनमें कई दुर्लभ प्रजाति के फूल भी हैं। इनमें सबसे मनमोहक फूल मोरिना लोंगिफोलिया है। यह दूर-दूर तक अपनी महक छोड़ता है। इसके अलावा घाटी में विलुप्तप्राय श्रेणी में रखे गए कोरीडालिस कॉर्नुटा फूल भी खिले हुए हैं।

 

500 से अधिक फूलों की प्रजातियां

फूलों की घाटी में 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं। इस घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाई जाती है। नवम्बर से मई माह के मध्य घाटी सामान्यतः हिमाच्छादित रहती है। जुलाई एवं अगस्त माह के दौरान एल्पाइन जड़ी की छाल की पंखुडियों में रंग छिपे रहते हैं। यहाँ सामान्यतः पाये जाने वाले फूलों के पौधों में हिमालयी नीला पोस्त, बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, इन्डुला, कम्पानुला, मोरिना, इम्पेटिनस, लोबिलिया, एक्युलेगिया, एनीमोन, जर्मेनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, तारक, लिलियम, सैक्सिफागा व स्ट्राबेरी इत्यादि प्रमुख हैं।

 

ब्रह्मकमल से महकती घाटी

Brahma Kamal in Valley Of Flowers

फूलों की घाटी से हेमकुंड साहिब तक जगह-जगह ब्रह्मकमल खिलते हैं। पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते मानवीय आवाजाही कम होने से यहां ब्रह्मकमल बहुतायत में खिले हुए हैं।

 

घाटी में हैं कई विषैले फूल

Aconitum balfourii in Valley of Flowers

इस खूबसूरत वादियों के बीच कई जहरीले फूल भी खिले हैं, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं। वन विभाग ने पर्यटकों को बिना जानकारी किसी भी फूल या वनस्पति से छेड़छाड़ न करने की सलाह दी है। वन विभाग ने घाटी में दो ऐसे फूलों, एकोनिटम बालफोरी और सेनेसियो ग्रैसिलिफ्लोरस को चिन्हित किया है, जो विषैले हैं। पर्यटकों को घाटी में प्रवेश करने पर सावधानी बरतनी चाहिए, किसी भी वनस्पति को छूने या तोड़ने से बचना चाहिए। सेनेसियो एक दुर्लभ प्रजाति का फूल भी है, जो लंबे समय बाद घाटी में खिला है। किसी ने यदि यह फूल तोड़ लिया या इसको मुंह में रख लिया तो यह जानलेवा हो सकता है। 

 

परियों का निवास स्थान

स्थानीय लोगों के अनुसार फूलों की घाटी में परियां निवास करती हैं। परियों का निवास स्थान होने की वजह से लंबे समय तक यहां लोग जाने से कतराते थे। वन विभाग द्वारा भी यहां शाम को जाने में पाबंदी है।

 

क्यों है प्रसिद्ध और लोकप्रिय

Pushpawati River in Valley Of Flowers

भारत के सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक फूलों की घाटी यानी Valley of Flowers हिमालय में भारत के सबसे लोकप्रिय व सबसे पुराने ट्रेक में से एक है। जो लोग कभी हिमालय नहीं गए उन लोगों ने भी इस ट्रेक का नाम जरूर सुना होगा। Flowers of Valley Trek धरती पर स्वर्ग का अहसास कराता है। फूलों की घाटी उत्तराखंड में सबसे अधिक खोजे जाने वाले स्थानों में से एक है। यह प्रकृतिक सुंदरता, भारतीय राष्ट्रीय उद्यान, पुष्पावती नदी, फोटोग्राफी, अल्पाइन के फूलों आदि के लिए प्रसिद्ध है। 1980 में, भारत सरकार ने फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान बनाया था, और बाद में 2002 में, इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई। यह खूबसूरत घाटी लगभग 8-10 km. तक फैली है। इसकी तुलना किसी और से करना बहुत मुश्किल होगा। इस खूबसूरत घाटी में आपको कई प्रकार के फूल व हर तरफ खूबसूरत चोटियों के नज़ारे दिखाई देंगे, जो कुछ बर्फ से ढके हुए होते हैं, तो कुछ घास के मैदान भी शामिल हैं। बीच में बहती एक खूबसूरत नदी, पुष्पावती नदी, जिसका नज़ारा ज्यादातर ट्रेकर्स मिस कर देते हैं। पुष्पावती नदी इस जगह की सुन्दरता में चार चाँद लगा देती है।

 

आवागमन

फूलों की घाटी तक पहुँचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्दघाट 275 किमी दूर है। जोशीमठ से गोविन्दघाट की दूरी 19 किमी है। यहाँ से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 किमी है जहाँ से पर्यटक 3 किमी लम्बी व आधा किमी चौड़ी फूलों की घाटी में घूम सकते हैं।

फूलों की घाटी की यात्रा

फूलों की घाटी ट्रेक करने में चार दिन लगते हैं, अगर यात्रा हरिद्वार से शुरू हो।

दिन 1: हरिद्वार से गोविंदघाट तक - Haridwar to Govindghat

हरिद्वार से गोविंद घाट का रास्ता बद्रीनाथ हाईवे से होता हुए जाता है। इस सफर में आप खूबसूरत अलकनंदा नदी के किनारे यात्रा करते हो। हरिद्वार से गोविंद घाट, लगभग 11 से 12 घंटे का समय लगेगा।

 

दिन 2: गोविंदघाट से घांघरिया तक ट्रेक - Govindghat to Ghangaria

गोविंद घाट से घांघरिया तक सभी को ट्रेक करके जाना पड़ता था। लेकिन अब यहां रोड बन गया है, तो आप टैक्सी करके भी पहुंच सकते हो या फिर आप गोविंद घाट से घांघरिया तक ट्रेक करके भी जा सकते हो। गोविंद घाट से घांघरिया की दूरी 4 km. की है। इस रास्ते में आपको कई सारे ढाबे दिखेंगे और एक गुरुद्वारा भी है जो आपको मुफ्त में स्वादिष्ट भोजन प्रदान करता है।

अब आपको घांघरिया पहुंचने के बाद एक रात घांघरिया में ही रुकना है। यहां आपको होटल्स मिल जाएँगे और कोशिश करें कि आप पैदल ट्रेक करें क्योंकि यह रास्ता बहुत खूबसूरत है जहां आप नदी के किनारे चलेंगे।

 

दिन 3: घांघरिया से फूलों की घाटी और वापस घांघरिया तक ट्रेक करें - Ghangaria to Valley of Flowers and back to Ghangaria

घांघरिया से फूलों की घाटी का ट्रेक, जिसकी दूरी घांघरिया से 3.5 किलोमीटर की होगी। इसका मतलब 7.5 किलोमीटर में आपका आना और जाना दोनों शामिल होगा ।

Valley of Flowers Trek करने लिए आप अपने होटल से सुबह जल्दी निकले। Valley of Flowers सुबह 7 बजे खुल जाता है, तो अपने होटल से सुबह 7 बजे से पहले निकले। और Valley of Flowers Trek के लिए टिकट खरीद ले। उसके बाद पूरा दिन ट्रैकिंग करेंगे और Valley of Flowers Trek का मज़ा उठाएंगे। 

खास बात :- Valley of Flowers Trek सुबह 7 बजे शुरू होकर शाम 5 बजे तक वापिस पहुंचना होता है। 

 

दिन 4: घांघरिया से गोविंदघाट तक ट्रेक करें - back to Govindghat from Ghangaria

अब आप Valley of Flowers Trek पूरा करके वापिस घांघरिया से गोविंदघाट तक ट्रेक करें या टैक्सी करके भी घांघरिया से गोविंदघाट तक पहुंच सकते हो। लेकिन एक सलाह यह है कि वापस जाने से पहले, आप हेमकुंड साहिब के दर्शन भी जरूर कर लें, हेमकुंड साहिब आपकी यात्रा में एक और दिन और 6-7 घंटे का ट्रेक जोड़ देगा। हेमकुंड साहिब की चढ़ाई आपको अगले स्तर पर चुनौती देती है। लेकिन साथ ही आपको एक ऐसे सुंदर क्षेत्र में भी ले जाता है जिसकी आपने उम्मीद भी नहीं की होगी। यह 6 km. का ट्रेक आपको लगभग 4,000 फीट की ऊँचाई पर ले जाता है।

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