Enjoy the Virtual World Through the Metaverse
क्या है मेटावर्स और कैसे करता है काम जानें इस आर्टिकल के माध्यम से.
बचपन में राजा रानी की कहानियों में आपने काल्पनिक दुनिया के बारे में तो अवश्य सुना होगा पर क्या हो अगर उसी तरह की काल्पनिक दुनिया आप अपनी आंखों से देख सकें? चौंकीये मत क्योंकि यह कोई मज़ाक नहीं है बल्कि सच में आप कही भी बैठे हुए काल्पनिक दुनिया को देख सकते हैं और यह सब मुमकिन करेगा "Metaverse".
Metaverse एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से आप डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर सकते हो. अभी तक हम वीडियो गेम्स को सिर्फ कंप्यूटर या मोबाईल फोन पर खेल सकते हैं हालांकि, Metaverse के आने के बाद आप वीडियो गेम की दुनिया में जा सकते हो उस दुनिया को महसूस कर सकते हो. यह सुनने में काफी फिल्मी लगता है पर असलियत में यह मुमकिन है, इसके लिए आपको एक वी आर हैडसेट की आवश्यकता पड़ेगी.
हैडसेट पहनने के बाद आपको ऐसा प्रतीत होगा कि आप उस दुनिया में है जिसे आप हैडसेट के माध्यम से देख रहे हैं. इसके अलावा आप मशहूर ब्लॉक चेन तकनीक क्रिप्टो की दुनिया में जाकर भी उसका अनुभव ले सकते हैं. यहाँ तक की Metaverse आपको अपनी खुद की एक वर्चुअल दुनिया बनाने की भी अनुमति देता है. हालांकि, उस दुनिया की सारी चीज़ें काल्पनिक होंगी जिन्हें आप छू नहीं सकते केवल देख सकते हो. जिस तरह से इंटरनेट एक कनेक्टेड नेटवर्क है उसी तरह से Metaverse हम सभी के हैडसेट को एक दूसरे से जोड़ देगा जिससे हम लोग इंटरनेट की तरह Metaverse की वर्चुअल दुनिया से जुड़ पाएंगे और उस वर्चुअल दुनिया में जाकर गेम्स खेल सकेंगे, शौपिंग कर सकेंगे और यहाँ तक की चैट भी कर पाएंगे.
हालही में मार्क जुकरबर्ग ने अपनी कंपनी फेसबुक का नाम बदलकर Meta रख दिया. मार्क जुकरबर्ग के इस फैसले के पीछे गहरी योजना छुपी है. दरअसल, मार्क जुकरबर्ग जल्द ही Metaverse नामक एक वर्चुअल दुनिया का निर्माण करेंगे जो लोगों को वर्चुअल दुनिया में अपने दोस्तों से मिलने और कलाई पर बंधी घड़ी के माध्यम से संपर्क करने की अनुमति देगा. इसके लिए मार्क जुकरबर्ग लगभग $50 मिलियन का निवेश करेंगे. Metaverse को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए करीबन 10,000 एंप्लॉयीज़ को रखा जाएगा जो कि एक बड़ी बात है.
जैसा कि हर अच्छी चीज़ के साथ कुछ दुशप्रभाव जुड़े होते हैं कुछ विशेषज्ञों के अनुसार Metaverse के साथ भी कुछ दुशप्रभाव जुड़े हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि Metaverse के माध्यम से यूजर्स का सेंसेटिव डाटा आसानी से फेसबुक के पास पहुंच जाएगा. इसिलिए इस तकनीक के आम होने से पहले इस पर कड़े नियम लागू होने चाहिए जिससे भविष्य में जब यह तकनीक इस्तेमाल की जाए तो हमारा सेंसेटिव डाटा सुरक्षित रहे.
Image source: Forbes
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