किन स्थितियों में नहीं करना चाहिए सुखासन?

किन स्थितियों में नहीं करना चाहिए सुखासन?

In which situations Sukhasana should not be done?

सुखासन एक सरल योगा पोज़ है जो शरीर के पोश्चर को बेहतर बनाने में मदद करता है, लेकिन इसे कुछ स्वास्थ्य स्थितियों में अवॉइड करना चाहिए। यदि आपकी कमर, पीठ, साइटिका, या अर्थराइटिस की समस्या है, या आप चिंता और डर महसूस कर रहे हैं, तो सुखासन से बचना चाहिए।

  • Health
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  • 14, Sep, 2024
Jyoti Ahlawat
Jyoti Ahlawat
  • @JyotiAhlawat

In which situations Sukhasana should not be done?

सुखासन करने से बॉडी का पोश्चर अच्छा होता है, लेकिन इसे कुछ परिस्थितियों में नहीं करना चाहिए। सुखासन को सबसे आसान योगा पोज़ माना जाता है, लेकिन अगर आपको बैठने में परेशानी हो रही है तो यह आपके लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। सुखासन करते समय शरीर का पूरा भार कूल्हों पर आता है, जिससे बाकी शरीर को वजन को सपोर्ट करने का मौका नहीं मिलता। सुखासन के समान अन्य पोज़, जैसे पदमासन, करना आसान हो सकता है क्योंकि इसमें बॉडी का वजन सिर्फ एक हिस्से पर नहीं पड़ता, क्योंकि घुटने जमीन के काफी करीब होते हैं। यदि आपकी कमर या पीठ में दर्द है, आप साइटिका या माइग्रेन के मरीज हैं, तो सुखासन से बचना चाहिए।

  1. कमर या पीठ में दर्द होने पर सुखासन न करें
    यदि आप एक थकाऊ दिन के बाद सुखासन करना चाहते हैं, तो ध्यान रखें कि डॉक्टर इसकी सलाह नहीं देते। जो लोग पूरा दिन बैठकर काम करते हैं, उनकी कमर या पीठ में दर्द बना रहता है। अगर आपकी कमर में दर्द है, तो एक ही पोज़िशन में पांच मिनट से अधिक न रहें, वरना दर्द बढ़ सकता है। इस वजह से पीठ या कमर दर्द होने पर सुखासन से बचें।

  2. साइटिका या स्पाइन से जुड़ी समस्याओं में सुखासन न करें
    जिन लोगों को साइटिका है, उन्हें भी सुखासन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे साइटिक नर्व पर असर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, जिन लोगों को स्पाइन या स्पाइनल डिस्क की समस्याएं हैं, उन्हें भी सुखासन या ईज़ी पोज़ नहीं करना चाहिए।

  3. चिंता या डर महसूस होने पर सुखासन अवॉइड करें
    मनोचिकित्सक मानते हैं कि यदि आप चिंता या डर महसूस कर रहे हैं, तो सुखासन न करें। सुखासन में लंबे समय तक आंखें बंद करके ध्यान किया जाता है और डर महसूस करने वालों को आंखें बंद रखने में कठिनाई हो सकती है। इस स्थिति में डॉक्टर व्यस्त रहने की सलाह देते हैं। माइग्रेन के मरीजों को भी यह पोज़ अवॉइड करना चाहिए।

  4. अर्थराइटिस में सुखासन न करें
    अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों को बैठने में परेशानी हो सकती है और बैठने से घुटनों पर दबाव पड़ता है, इसलिए उन्हें यह आसान अवॉइड करना चाहिए। जिन लोगों ने घुटने की सर्जरी करवाई है, उन्हें भी डॉक्टर सुखासन करने से मना कर सकते हैं। इसलिए योगा करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

सुखासन करते समय इन बातों का ध्यान रखें:

  1. यदि आप पहली बार सुखासन ट्राय कर रहे हैं, तो इसे 45 से 50 सेकंड तक ही करें।
  2. अगर आप इसे नियमित रूप से कर रहे हैं, तो 2 से 3 मिनट तक कर सकते हैं।
  3. यदि आप एक्ज़पर्ट हैं, तो 2 से 5 मिनट तक सुखासन कर सकते हैं।
  4. सुखासन को सुबह के समय करना चाहिए।
  5. आप खाली पेट भी सुखासन कर सकते हैं।
  6. यदि खाने के बाद सुखासन कर रहे हैं, तो खाने और योग के बीच 2 घंटे का अंतर रखें।
  7. सुखासन करते समय आपके दोनों कूल्हों की हड्डी पर शरीर का वजन समान रूप से पड़ना चाहिए।

सुखासन का नाम ही सुख है, और यह शरीर को रिलैक्स करता है। लेकिन यदि आपका पोश्चर सही नहीं है, तो आप इसका पूरा लाभ नहीं उठा पाएंगे। इसलिए इसे करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर होगा।

Jyoti Ahlawat

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