श्री कुबेर चालीसा

श्री कुबेर चालीसा

Shri Kuber Chalisa

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  • Chalisa
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  • 22, Dec, 2021
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श्री कुबेर चालीसा

 

॥ दोहा ॥

जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।

ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥

विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ।

भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥

 

॥ चौपाई ॥

जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी ।

धन माया के तुम अधिकारी ॥

 

तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।

पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥

 

स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी ।

सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥

 

यक्ष यक्षणी की है सेना भारी ।

सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥

 

महा योद्धा बन शस्त्र धारैं ।

युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥

 

सदा विजयी कभी ना हारैं ।

भगत जनों के संकट टारैं ॥

 

प्रपितामह हैं स्वयं विधाता ।

पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥

 

विश्रवा पिता इडविडा जी माता ।

विभीषण भगत आपके भ्राता ॥

 

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया ।

घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥

 

शिव वरदान मिले देवत्य पाया ।

अमृत पान करी अमर हुई काया ॥

 

धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में ।

देवी देवता सब फिरैं साथ में ॥

 

पीताम्बर वस्त्र पहने गात में ।

बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥

 

स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं ।

त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥

 

शंख मृदंग नगारे बाजैं ।

गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥

 

चौंसठ योगनी मंगल गावैं ।

ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं ॥

 

दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।

यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥

 

ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं ।

देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ॥

 

पुरुषोंमें जैसे भीम बली हैं ।

यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥

 

भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं ।

पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥

 

नागों में जैसे शेष बड़े हैं ।

वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥

 

कांधे धनुष हाथ में भाला ।

गले फूलों की पहनी माला ॥

 

स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला ।

दूर दूर तक होए उजाला ॥

 

कुबेर देव को जो मन में धारे ।

सदा विजय हो कभी न हारे ।

 

बिगड़े काम बन जाएं सारे ।

अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥

 

कुबेर गरीब को आप उभारैं ।

कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥

 

कुबेर भगत के संकट टारैं ।

कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥

 

शीघ्र धनी जो होना चाहे ।

क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥

 

यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं ।

दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥

 

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं ।

अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥

 

रोग शोक को कुबेर नशावैं ।

कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥

 

कुबेर चढ़े को और चढ़ादे ।

कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥

 

कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे ।

कुबेर भूले को राह बता दे ॥

 

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे ।

भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥

 

रोगी का रोग कुबेर घटा दे ।

दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥

 

बांझ की गोद कुबेर भरा दे ।

कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥

 

कारागार से कुबेर छुड़ा दे ।

चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥

 

कोर्ट केस में कुबेर जितावै ।

जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥

 

चुनाव में जीत कुबेर करावैं ।

मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥

 

पाठ करे जो नित मन लाई ।

उसकी कला हो सदा सवाई ॥

 

जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई ।

उसका जीवन चले सुखदाई ॥

 

जो कुबेर का पाठ करावै ।

उसका बेड़ा पार लगावै ॥

 

उजड़े घर को पुन: बसावै ।

शत्रु को भी मित्र बनावै ॥

 

सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई ।

सब सुख भोद पदार्थ पाई ॥

 

प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई ।

मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥

 

॥ दोहा ॥

शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।

हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर ॥

कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।

शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर ।

 

॥ इति श्री कुबेर चालीसा समाप्त ॥

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