कुंभकरण की नींद की कहानी

कुंभकरण की नींद की कहानी

The Story Of Kumbhakarna's sleep

यहाँ पढ़िये कुंभकरण की नींद की पौराणिक कथा। क्यों कुंभकरण छः महीने सोता और छः महीने जागता था। Read here the legend of Kumbhakaran's sleep. Why Kumbhakarna slept for six months and was awake for six months.

  • Pauranik kathaye
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  • 10, May, 2022
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कुंभकरण की नींद

रामायण में रावण के भाई कुम्भकरण की भूमिका भी अद्भुत है। वो अपने विशाल शरीर और अपनी भूख से ज्यादा अपनी गहरी नींद के लिए जाना जाता था। माना जाता है कि राक्षस वंश का होने के बावजूद कुम्भकरण बुद्धिमान और बहादुर था। उसकी ताकत से देवराज इंद्र भी ईर्ष्या करते थे।

एक बार रावण, कुम्भकरण और विभीषण एक साथ ब्रह्मदेव की तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उनसे वर मांगने के लिए कहा। वहीं, दूसरी ओर इंद्र को डर था कि कुम्भकरण वरदान में कहीं स्वर्ग का सिंहासन न मांग लें।

इस बात से डरकर, इंद्र ने मां सरस्वती से कुम्भकरण के वरदान के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। मां सरस्वती ने कुम्भकरण की जीभ बांध दी, जिससे कुम्भकरण के मुख से इंद्रासन की जगह निंद्रासन निकल गया। इससे पहले कि कुम्भकरण को अपनी गलती का अहसास होता, ब्रह्मा तथास्तु बोल चुके थे।

रावण सब कुछ समझ गया था, उसने ब्रह्मा से उनके दिए हुए वरदान को वापस लेने के लिये कहा। ब्रह्मा ने एक शर्त के साथ उस वरदान को वापस लिया कि कुम्भकरण 6 माह सोएगा और 6 माह तक जागता रहेगा।

इस बात को रावण ने मान लिया। कहा जाता है कि जब राम-रावण का युद्ध हो रहा था, तब कुम्भकरण सो रहा था। उसे जगाने की कोशिश की गई, बहुत प्रयास करने के बाद ही वो नींद से जागा था।

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