Most Costly Medication in the World: The world's most expensive medicine, whose single dose costs more than Rs 29 crore.
यूनीक्योर ने दुनिया की सबसे महंगी दवा, हेमजेनिक्स, बनाई है, और इसका वितरण सीएसएल बेहरिंग, एक अमेरिकी कंपनी, के पास है। इसे हीमोफीलिया बी बीमारी के लिए एक रामबाण औषधि माना गया है।
विश्व की सबसे महंगी दवा: हेमजेनिक्स (Hemgenix) की सिंगल डोज कीमत हजारों-लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये से भी अधिक है। यह दवा 'हीमोफ़ीलिया बी' (Haemophilia B) नामक एक दुर्लभ बीमारी के इलाज की रामबाण औषधि मानी जाती है। हेमजेनिक्स की सिंगल डोज की कीमत 35 लाख डॉलर, अर्थात 291,373,250 रुपये है। इसे बनाने वाली अमेरिकी कंपनी यूनीक्योर ने इसके वितरण के अधिकार सीएसएल बेहरिंग को सौंपे हैं। हेमजेनिक्स एक जीन थेरेपी है और इसे एक बार लेने पर ही हीमोफ़ीलिया बी बीमारी का इलाज होने का दावा किया जाता है।
इंस्टीट्यूट फॉर क्लीनिकल एंड इकोनॉमिक रिव्यू ने हेमजेनिक्स को सबसे महंगी दवा माना है। इस स्वतंत्र संस्था के अनुसार, इस दवा की कीमत अन्य सिंगल डोज वाली जीन थेरेपी दवाओं जैसे ज़ाइनटेग्लो (28 लाख डॉलर) और ज़ोल्गेंज्मा (21 लाख डॉलर) से अधिक है। हेमजेनिक्स के खर्च का कारण है कि यह सिंगल डोज थेरेपी है और इससे पूरे इलाज की तुलना में इस्तेमाल की जा रही पहले के इंजेक्शन से कम होगा।
सीएसएल बेहरिंग ने पिछले साल नवंबर में हेमजेनिक्स को अमेरिकी प्रशासन की मंजूरी मिलने के बाद इसकी कीमत को उसके क्लीनिकल, सामाजिक, आर्थिक और इनोवेटिव मूल्य के हिसाब से तय किया था। कंपनी ने बताया कि इस थेरेपी के लाइसेंस और मार्केटिंग के लिए उसने हेमजेनिक्स के शुरुआती डेवलपर यूनीक्योर को 45 करोड़ डॉलर दिए थे।
हेमजेनिक्स का इलाज पुरानी पद्धति से करने पर एक मरीज को जिंदगी भर में करीब दो करोड़ डॉलर खर्च करना पड़ता है, जबकि हेमजेनिक्स का खर्च सिर्फ 35 लाख डॉलर है। कंपनी का लक्ष्य है कि वह 2026 तक इस दवा से 1.2 अरब डॉलर कमाएगी और इसे अमेरिकी बाजार में अगले सात सालों तक वितरित करेगी।