हूर - Poetry by Shonel Sharma

हूर - Poetry by Shonel Sharma

Hoor - By Shonel Sharma

Read here the new Poetry "हूर" by Poet Shonel Sharma

  • Poetry
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  • 07, Jan, 2022
Shonel Sharma
Shonel Sharma
  • @TheShonel

शोनेल शर्मा की नई कविता

"हूर"

 

मद्धम सी धूप की रोशनी,

उसके चेहरे का नूर बन गई।

शीशे सा चमकता बदन लिए,

वो हसीन हूर बन गई।

होंठ फूलों का रस पिए,

इत्र सी उसकी महक,

भवरों को मदहोश किए।

उसका जिस्म छू 

चलने वाली वो हवा,

एक सुरूर बन गई।

शांत नीली आंखों में जैसे,

समन्दर की गहराई समायी हो।

काले घने मेघ जैसे,

अपने केश में उलझायी हो।

एक साज सा उसका प्रतिबिंब

वो प्रकृति में,

या प्रकृति उसमें समायी हो।।

Shonel Sharma

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