केदारकांठा ट्रेक : हिमालय की वादियों में एक रोमांचक एहसास

केदारकांठा ट्रेक : हिमालय की वादियों में एक रोमांचक एहसास

Kedarkantha Trek : In The Lap Of Himalaya

जानिए उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय ट्रेक केदारकांठा ट्रेक के बारे में पूरी जानकारी । Read here full trek guide about Kedarkantha

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  • 29, Dec, 2021
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Hindeez Admin
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उत्तराखंड का सबसे लोकप्रिय ट्रेक : केदारकांठा ट्रेक

उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में 12,500 फीट (3,800 मीटर) की ऊंचाई पर गोविंद वन्य जीव अभ्यारणय में एक चोटी है जो केदारकांठा के नाम से प्रसिद्ध है। यह एक मनमोहक खूबसूरती वाली जगह है जिसके कारण हर साल केदारकांठा ट्रेक करने वाले यात्रियों की संख्या में दुगना इजाफा हो रहा है।

ज्यादातर लोग केदारकांठा और केदारनाथ के नाम से भ्रमित हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि यह दोनों एक ही ट्रेक है, लेकिन केदारकांठा उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत ट्रैक है, और केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है, यह दोनों ही अलग-अलग स्थान है।

केदारकांठा ट्रेक जो उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध ट्रेक है। सर्दियों में केदारकांठा की चोटियां बर्फ से ढक जाती है। जिसके धरातल पर चमचमाती बर्फ का नजारा देखते ही बनता है। इसके खूबसूरत बर्फीले पहाड़ में लगाया गया कैंप एक अलग ही सुकून का अनुभव कराता है। इसकी चढ़ाई लोगों के बीच लोकप्रिय है। ट्रेक करते समय आपको शिखर और बर्फ से ढकी चोटियां देखने को मिलती है। ट्रेक का रास्ता घने जंगल के बीच से होते हुए जाता है, जो इसे और भी रोमांचक बनाता है। केदारकांठा ट्रेक से बर्फ से ढके पहाड़ो और जंगलों का 360-डिग्री दृश्य साफ़ दिखाई देता है।

केदारकांठा ट्रेक का कैंपसाइट सूर्यास्त और आकाशगंगा का सबसे अच्छा दृश्य प्रस्तुत करता है जो हमेशा आपको याद रहेगा। जैसे-जैसे आप शिखर के करीब आते हैं, यह चढ़ाई खड़ी और मुश्किल भी होती चली जाती है। लेकिन ऊपरी हिमालय के करीब आते ही नज़ारा ऐसा होता है जैसे मानो दूनिया ही बदल गयी हो। जुदा-का-तालाब के किनारे रात्रि कैंप का मजा ही कुछ और है। केदारकांठा ट्रेक आपका ना सिर्फ प्रकृति से जुड़ाव महसूस करायेगा बल्कि यहाँ के खूबसूरत नजारे आपके वजूद के एक हिस्से को यहीं कैद कर लेंगे।

 

भगवान शिव को समर्पित केदारकंठ पर्वत

केदारकांठा पर्वत शिव को समर्पित है। भगवान शिव के इन विरान पहाड़ों और तालों के पास विचरने का भी आपको प्रमाण मिल जाता है। शायद शिव भी हिमालय के इन खूबसूरत पहाड़ों को देखकर यहीं के हो गए होंगे। तभी तो शिव का अंश सब कणों में है मगर रहता हिमालय के इन खूबसूरत शिखरों में है।

 

सर्दियों में स्वर्ग सा एहसास है केदारकांठा

केदारकांठा गर्मियों या सर्दियों दोनों मौसमों में घूम सकते हैं। मगर जो नजारे सर्दियों में दिखते हैं वो गर्मियों में कहाँ। सर्दियों में तो केदारकांठा की खूबसूरती पर चार चाँद लग जाते हैं। चारों तरफ सफेद बर्फ से ढकी चोटियाँ और उनके सूनहरे रंग में रंगती उजली सुनहरी धूप, क्या कहने। आप अगर मध्य हिमालय के इस क्षेत्रों में आएंगे तो महसूस करेंगे कि जंगल हरे नहीं नीले भी होते हैं। ये एहसास बस एक अच्छा ट्रेकर ही करीब से महसूस करता है।

 

केदारकांठा से जुड़ी पौराणिक कथाएँ

उत्तराखण्ड के किसी भी पर्यटन स्थल से कोई ना कोई पौराणिक महत्व तो जुड़ा रहता है। वैसे ही केदारकांठा और जुदा का तालाब, एक उच्च ऊंचाई वाली झील के विषय में कई किंवदंतियाँ हैं।

  • केदारकांठा- 'केदार' मतलब भगवान शिव और 'कंठ' मतलब गला अर्थात भगवान शिव का गला। वैसे तो केदारकांठा को लेकर बहुत सारी मान्यताएं हैं लेकिन जिसकी बात सबसे ज्यादा होती है वो ये है कि यह मूल केदारनाथ मंदिर था। दरअसल भगवान शिव हिमालय में रहते थे। पहाड़ों में कई शिव प्राचीन शिव मंदिर हैं और उनका मिथ महाभारत से जुड़ा हुआ है। महाभारत युद्ध के बाद पांडव भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए हिमालय गए, लेकिन भगवान शिव उनसे मिलने नहीं आए। बल्कि उन्होंने बैल का भेष धारण किया और पांडवों को गुमराह करने लगे। तभी बैलों के झुंड को देखकर भीम ने एक चाल चली। वह दो चट्टानों पर पैर फैलाकर खड़े हो गए। सभी बैल भीम के नीचे से गुजरने लगे लेकिन एक बैल (जिसका रूप शिव जी ने धारण किया हुआ था) ने भीम के पैरों के नीचे से निकलने से मना कर दिया और नतीजा निकला युद्ध! इस लड़ाई में, भीम ने बैल को टुकड़ों में बांट दिया। जिस स्थान पर ये टुकड़े गिरे पांडवों ने बाद में पूजा करने के लिए वहां पर शिव मंदिरों का निर्माण किया। और ऐसा भी माना जाता है कि बैल जमीन में गायब हो गया था और बाद में पांच स्थानों पर भगवान शिव के रूप में प्रकट हुआ- केदारनाथ में कूबड़, तुंगनाथ में पैर, रुद्रनाथ में चेहरा, मध्यमहेश्वर में पेट और कल्पेश्वर में बाल।
  • एक अन्य स्थानीय मिथक है, जब पांडव भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए हिमालय गए थे। भगवान शिव भीम से छिप गये और खुद को एक बैल के रूप में प्रच्छन्न किया। लेकिन भीम ने उन्हें पहचान लिया और उनके पीछे-पीछे चला गया। इसलिए शिव भूमिगत हो गए। जब वह अपने छिपने के स्थान से बाहर निकले, तो उन्होंने अपने शरीर के अंगों को विभाजित कर दिया, और प्रत्येक भाग एक अलग स्थान पर गिर गया। उनका कंठ केदारकांठा पर गिर गया, इस प्रकार शिखर को इसका नाम मिला- लिप्यंतरण- "भगवान शिव का कंठ"।
  • अन्य स्थानीय किवदंतियों के अनुसार, जब ये मंदिर बन रहा था तो यही असली केदारनाथ मंदिर होने वाला था लेकिन जब मंदिर बन रहा था तभी अचानक गाय की आवाज आ गई। जैसा कि हम सबको पता है कि भगवान शिव शांति में ध्यान लगाते हैं, इसलिए यहां के जानवरों की आवाजों से शांति भंग होने के डर से भगवान शिव वहां से चले गए और केदारनाथ जाकर बस गए। तब तक ये मंदिर भगवान शिव के गले तक बन चुका था इसलिए इसे केदारकंठ या केदारकांठा कहा जाता है।

 

केदारकांठा कैसे पहुँचे? 
How To Reach Kedarkantha?

• देहरादून – संकरी (198 km)
• संकरी – जुदा-का-तालाब (5 km)
• जुदा-का-तालाब – केदारकांठा बेस कैंप (4 km)
• केदारकांठा बेस कैंप – केदारकांठा चोटी – हरगांव – (6 km)
• हरगांव – संकरी गाँव (6 km) 
• संकरी – देहरादून (198 km) 

केदारकांठा के लिए देहरादून या ऋषिकेश से  उत्तरकाशी के संकरी पहुंचना होगा। संकरी ही केदारकांठा ट्रेक का बेस कैंप है और गाड़ी तक आने की सुविधा भी बस यहीं तक मिलेगी। देहरादून से संकरी 198 km है। केदारकांठा की चोटी के लिए एक ट्रेक आमतौर पर एक छोटे से गांव संकरी से शुरू होता है, और इसे पूरा करने में चार दिन लगते हैं।
संकरी से केदारकांठा चोटी तक की कुल दूरी वैसे तो 11 km है मगर केदारकांठा चोटी तक पहुंचने के दो रास्तों के कारण दूसरे मार्ग की दूरी संकरी से 15 km है। इसके लिए इस ट्रेक पर तीन कैंप हैं। पहला संकरी से जुदा-का-तालाब में, दूसरा जुदा-का-तालाब से केदारकांठा बेस कैंप में और तीसरा केदारकांठा बेस कैंप से हरगांव में। केदारकांठा बैस कैंप से केदारकांठा चोटी तक की दूरी महज 3 km है। जहाँ पहुंचने के बाद आप केदारकांठा ट्रेक का भरपूर आनंद ले सकेंगे।

एक खास बात :-
संकरी में प्रवेश करने से पहले एक वन (Forest Permit) परमिट की आवश्यकता होती है। यह परमिट आपको संकरी गांव से पहले गोविन्द पशु नेशनल पार्क आता है वहां एक चेक पोस्ट बना हुआ है। आप अपनी सरकारी अधिकृत आईडी प्रूफ दिखा कर यहां से अपना वन परमिट (Forest Permit) ले सकते हो बहुत आसानी से और यह परमिट आपको संकरी गांव में प्रवेश करने से पहले दिखाना होगा और एक छोटा सा फॉर्म भरना होगा।

 

अब शुरू होती है केदारकांठा ट्रेक की यात्रा 
Journey Begins Kedarkantha Trek

Day 1 :
देहरादून से संकरी (Dehradun to Sankri) 

ऊंचाई: 6,400 फीट
दूरी : 198 km
समय : 8 - 9 hrs. 
रहने और खाने की व्यवस्था: गेस्ट हाउस में


संकरी (Sankri) केदारकंठ ट्रेक का पहला पड़ाव है। केदारकंठ ट्रेक शुरू करने के लिए आपको पहले दिन देहरादून (Sankri to Dehradun) से संकरी पहुँचना होगा। इस पहाड़ी रास्ते को कवर करने में लगभग 8 से 9 घंटे लगते हैं। देहरादून से संकरी पहुंचने के लिए आप मसूरी, दमता, नौगाँव, पुरोला, मोरी और नैटवार से होकर लगभग 198 km की ट्रेवलिंग करेंगे।

Day 2 :
संकरी से जुदा का तालाब तक ट्रेक (Trek from Sankri to Juda ka Talab) 

ऊंचाई: 4,400 फीट से 9100 फीट
ट्रेकिंग: 4 km. 
ट्रेकिंग का समय: 5 hrs. 
कैम्पिंग: जूदा का तालाब + रहने और खाने की व्यवस्था


दूसरा दिन आपका शुरू होगा संकरी से जुदा का तालाब के लिए। आप यहां घने जंगलों से होकर गुजरेंगे। जूदा का तालाब संकरी (Sankri) और केदारकंठ ट्रेक शिखर के बीच स्थित एक छोटी सी झील है। इसकी दूरी संकरी से लगभग 4 किमी की है। इस यात्रा में आपको अपने फिटनेस स्तर के आधार पर लगभग 3-4 घंटे का समय लगेगा। इस ट्रेक के दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे। यहां करीबन दोपहर तक पहुंच कर ट्रेकर्स अपने कैम्प लगाएं और झील के किनारे बैठ कर सनसेेट का लुफ्त उठाएं और रात के समय तारों से भरे आसमान के नीचे बोन फायर का मज़ा लें। यहां से सुबह नाश्ते के बाद ट्रेकर्स अपने अगले ट्रेक केदारकंठ बेस कैम्प की ओर रवाना होंगे।

Day 3 :
जूदा का तालाब से केदारकंठ बेस कैम्प (Juda ka Talab to KedarKantha Base Camp)

ऊंचाई: 9100 फीट से 11,250 फीट
ट्रेकिंग: 4 km. 
ट्रेकिंग का समय: 3 hrs. 
कैम्पिंग: केदारकंठ बेस कैम्प + रहने और खाने की व्यवस्था


तीसरे दिन का ट्रेक जुदा का तालाब से kedarkantha basecamp के लिए होगा। जूदा के तालाब से 4 किमी की दूरी तय करके विशाल घास का मैदान शुरू होता है जो केदारकंठ का बेस कैम्प है। इस ट्रेक पर आपको बेहतरीन सुरम्य दृश्य देखने को मिल जाते हैं जो कि इस ट्रेक का मुख्य आकर्षण है। आपको यहां से उत्तराखंड के सभी ट्रेक दिखाई पड़ते हैैं। यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां पर रातभर रुक कर, सुबह नाश्ते के बाद आप केदारकंठ के शिखर की ओर बढ़ेंगे।

Day 4 : 
केदारकंठ बेस कैम्प से केदारकंठ चोटी फिर हरगांव (Kedarkantha Base Camp to Kedarkantha Summit And Back to Hargaon) 

ऊंचाई: 11,250 फीट से 12,500 फीट
ट्रेकिंग: 6 km. 
ट्रेकिंग का समय: 7 hrs. 
कैम्पिंग: शिखर पर पहुंचने केे बाद लंच के लिए बेस कैम्प


चौथा दिन बेहद लंबा होगा। इस दिन आपको बहुत उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे और बहुत मज़ा भी आएगा, लेकिन इस दिन की शुरुआत सुबह जल्दी करें और ऐसा करना आवश्यक भी है। क्योंकि आज की यात्रा लंबी और कठिन होने वाली है, क्योंंकि आप पहाड़ की पश्चिम ओर से खड़े रास्तों, चट्टानों पर चढेंगे। फिर शिखर पर पहुंचने के कुछ देर बाद आप वापस कैम्प की ओर लौटेंगे और लंच के बाद हरगांव कैम्प की ओर बढ़ेंगे।
इस दिन आप पहाड़ों पर विजय प्राप्त करोगे और आपकी फिटनेस की असली परीक्षा आज होगी। यह 2 घंटे से अधिक की कठिन और थकाऊ चढ़ाई होगी। यहां से 6 किलोमीटर की कुल दूरी आपको 11250 फीट से 12500 फीट तक ले जाएगी और आपको वापस 8,900 फीट तक ले आएगी । क्या शानदार दिन होगा, यह दिन आपके ट्रेक का सबसे रोमांचक दिन होगा जो आपको हमेशा याद रहेगा। आज आप केदारकांठा शिखर से सफेद और गहरे नीले बादलों को एक साथ बहुत पास से देख सकते हो यह नज़ारा आपको सच में मंत्रमुग्ध कर देगा यह नज़ारा इतना शानदार होता है कि इसे शब्दों में बताना असंभव है। केदारकांठा के शिखर से हिमालय पर्वतमाला का 360-डिग्री आकर्षक दृश्य आप देख सकते हो। आपको यहां भगवान गणेश जी का एक छोटा मंदिर और उसके साथ शिवजी और देवी पार्वती जी का एक छोटा मंदिर भी देखने को मिलेगा। आप अपना समय लें, और यहां कुछ देर आराम करें और इस जगह की सुन्दरता को निहारे और यहां के वातावरण को महसूस करें।


फिर आप यहां से वापस हरगाँव पहुंचेंगे, जहां आप बोन फायर और मंत्रमुग्ध कर देने वाली रात का लुफ्त उठाएंगे ।

Day 5 :
हरगांव कैम्प से संकरी (Hargaon to Sankari) 

ऊंचाई: 8,900 फीट से 6,400 फीट
ट्रेकिंग: 6 km. 
ट्रेकिंग का समय: 4 घंटे


आज के दिन आप घने देवदार के जंगलों के माध्यम से 2500 फीट की उतराई करके संकरी पहुंचेंगे। हरगांव से संकरी, 6 km. का यह ट्रेक करने में 3-4 घंटे का समय लगेगा। क्योंकि हमें जितने समय ऊपर की ओर चढ़ने में लगता है नीचे उतरते समय हमें उसका आधा समय ही लगता है। अब आप ज्यादातर नीचे की ओर उतरेंगे और आप संकरी में 6400 फीट की ऊंचाई पर होंगे। आप यहां के आसपास के बाज़ारों से लकड़ी से बने खिलौने, लकड़ी से बने घरेलू सजावट का सामान खरीद सकते हैं। और इसी के साथ आपका इस खूबसूरत ट्रेक का आखिरी दिन होगा। 
केदारकांठा ट्रेक सर्दियों के महीनों में विशेष रूप से किया जाता है। क्योंकि इस समय इस ट्रेक की सुन्दरता कई गुना बढ़ जाती है और इस समय प्रकृति प्रेमी और उत्साही ट्रेकर्स दोनों ही इस ट्रेक के अनुभव का आनंद उठाते हैं।

Day 6 :
संकरी से देहरादून (Sankri to Dehradun)

ट्रेवलिंग: 198 km. 
समय : 8 - 9 hrs. 

अगले दिन 198 km. की यात्रा कर आप शाम तक देहरादून पहुँच जाएंगे और इसके साथ ये रोमांचक यात्रा यहाँ समाप्त हो जाती है।

 

केदारकांठा ट्रेक क्यों प्रसिद्ध है?

Why is the Kedarkantha Trek Famous?

Kedarkantha Trek सर्दियों में ट्रेक करने के लिए, कैंपिंग के लिए, हिमालय के शानदार दृश्य के लिए, संकरी रेंज के लिए, जुदा का तालाब के लिए, स्कीइंग ​के लिए, महादेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

 

केदारकांठा ट्रेक करना कितना कठिन है?

Kedarkantha Trek Difficulty Level?

Kedarkantha Trek की चढ़ाई वो लोग भी कर सकते है। जो लोग पहेली बार ट्रेक कर रहें है। केदारकांठा ट्रेक की चढ़ाई ज्यादा आसान भी नहीं है, और ज्यादा मुश्किल भी नहीं है।

 

केदारकांठा से केदारनाथ की दूरी कितनी है? 

Kedarkantha to Kedarnath distance?

केदारकांठा से केदारनाथ की दूरी 91 किमी की है।

 

केदारकांठा ट्रेक का तापमान कितना रहता है?

What is the temperature of KedarKantha?

केदारकांठा का मौसम दिन के समय -6 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। और रात के समय में -10 डिग्री सेल्सियस से -18 डिग्री सेल्सियस के आस पास रहता है।

 

केदारकंठ ट्रेक किस मौसम में जाना रहेगा बेस्ट?

Kedarkantha Weather and Kedarkantha Base Camp

यहाँ सभी मौसम में घूमा जा सकता है। लेकिन सर्दियों के मौसम में यहां की खूबसूरती एक अलग ही तस्वीर बयांं करती है। चारों ओर सफेद बर्फ की मोटी चादर बिछी रहती है जो इसकी खूबसूरती और बढ़ा देती है। सर्दियों में यहां का तापमान '-3 डिग्री' तक पहुंच जाता है। इसे भारत में उत्तराखंड के सबसे पंसदीदा 'विंटर ट्रेक' के रूप में जाना जाता है। यहां ट्रेकर्स अधिकतर सर्दियों में आना पसंद करते हैं। हालांकि यहां बर्फ अप्रैल के महीने तक भी रहती है।

सर्दियों में बेस्ट टाइम मिड नवंबर से मिड अप्रैल है। गर्मियों में भी यहां का मौसम ठंडा रहता है, और तापमान 6 डिग्री से 20 डिग्री तक बना रहता है। मॉनसून में आपको यहां नहीं जाना चाहिए क्योंकि हिमालय पर मौसम का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता। बारिश कब हो और कितने दिन तक चले यह बता पाना असंभव है और मॉनसून में भूस्खलन का खतरा भी बढ़ जाता है।

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