जब छल से मारे गए थे महाभारत के ये 5 महायोद्धा।

जब छल से मारे गए थे महाभारत के ये 5 महायोद्धा।

When these 5 great warriors of Mahabharata were killed by treachery.

आइए, हम उन 5 महायोद्धाओं के बारे में जानते हैं जो छल से मारे गए थे।

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  • 14, Feb, 2024
Jyoti Ahlawat
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When these 5 great warriors of Mahabharata were killed by treachery.

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महाभारत युद्ध, धर्म और अधर्म के बीच लड़ा गया युद्ध, न केवल वीरता और पराक्रम के लिए जाना जाता है,

बल्कि छल और कपट के लिए भी।

इस महायुद्ध में कई महायोद्धा वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए मारे गए,

लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो छल से मारे गए।

1. भीष्म पितामह:

भीष्म पितामह

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युद्ध के दसवें दिन, श्रीकृष्ण की सलाह पर अर्जुन ने श्रीखंडी को भीष्म के सामने खड़ा कर दिया।

यह ज्ञात था कि भीष्म श्रीखंडी को नहीं मारेंगे,

क्योंकि श्रीखंडी एक स्त्री थी और भीष्म ने स्त्री को मारने का व्रत लिया था।

श्रीखंडी के पीछे छिपकर अर्जुन ने भीष्म पर बाणों की वर्षा कर दी।

भीष्म बाणों की शय्या पर लेट गए और युद्ध समाप्त होने के बाद प्राण त्याग दिए।

2. द्रोणाचार्य:

द्रोणाचार्य

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युद्ध के पंद्रहवें दिन, श्रीकृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने द्रोणाचार्य को झूठ बोलकर उनके पुत्र अश्वत्थामा की मृत्यु का समाचार सुनाया।

शोक से व्याकुल द्रोणाचार्य ने शस्त्र त्यागकर ध्यान लगाना शुरू कर दिया।

तभी धृष्टद्युम्न ने तलवार से उनका सिर धड़ से अलग कर दिया।

3. कर्ण:

कर्ण

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युद्ध के सत्रहवें दिन, सूर्य देव के अस्त होने के बाद, कर्ण का रथ धरती में धंस गया।

युद्ध के नियमों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद युद्ध नहीं होता था।

इस अवसर का लाभ उठाकर अर्जुन ने कर्ण पर बाण चला दिया।

कर्ण निहत्था होने के बावजूद भी अर्जुन से युद्ध करना चाहता था,

लेकिन अर्जुन ने श्रीकृष्ण के आदेश का पालन करते हुए कर्ण पर बाण चला दिया।

4. अभिमन्यु:

अभिमन्यु

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युद्ध के तेरहवें दिन, चक्रव्यूह में फंसने के बाद, अभिमन्यु ने अकेले ही कौरव सेना का सामना किया।

उन्होंने वीरतापूर्वक युद्ध लड़ा, लेकिन छल से उन्हें घेरकर मार डाला गया।

5. गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा:

गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा

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युद्ध के अंतिम दिन, द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने पांडव शिविर में घुसकर सोते हुए द्रौपदी के पुत्रों को मार डाला।

उसके बाद, पांडवों ने भी छल का सहारा लेते हुए अश्वत्थामा के पुत्र को मार डाला।

इस घटना से दुखी होकर अश्वत्थामा ने भीष्म पितामह के शरशय्या पर बैठकर तपस्या शुरू कर दी।

इन महायोद्धाओं की मृत्यु:

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इन महायोद्धाओं की मृत्यु ने युद्ध का परिणाम प्रभावित किया।

भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे योद्धाओं की मृत्यु से कौरव सेना कमजोर हो गई।

अभिमन्यु की मृत्यु ने पांडवों का मनोबल गिरा दिया।

अश्वत्थामा के पुत्र की मृत्यु ने युद्ध को और भी भयानक बना दिया।

निष्कर्ष:

महाभारत युद्ध में कई महायोद्धा वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए मारे गए,

लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो छल से मारे गए।

यह युद्ध न केवल वीरता और पराक्रम का प्रतीक था,

बल्कि छल और कपट का भी प्रतीक था।

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