खुद को जीतना होगा! - Poetry by Shonel Sharma

खुद को जीतना होगा! - Poetry by Shonel Sharma

Khud Ko Jeetna Hoga - By Shonel Sharma

Read Here The New Hindi Poetry "खुद को जीतना होगा!" By Poetess Shonel Sharma

  • Poetry
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  • 28, Mar, 2022
Shonel Sharma
Shonel Sharma
  • @TheShonel

शोनेल शर्मा की नई कविता

"खुद को जीतना होगा!"

 

तेरे एक एक शब्दों ने मुझे संवारा,

तेरे एक एक शब्दों ने मुझे बिगाड़ा।

ऐसा लगता मानो, इस जिंदगी के,

हर खुशी, हर गम, तेरी उपजी सोच,

और बोले गए शब्दों के इर्द गिर्द थे।

खुद का वजूद तो मैंने खो ही दिया जैसे,

खुद को पूरी तरह तुझे सौंप दिया ऐसे,

कि मानो मैं ही मेरी ना रही,

तो तेरी क्या ही रहती…

खुद का ही सम्मान ना कर पाई,

तो तुझसे क्या ही आशा रखती।

खुद को ही संभाल न पाई, तो..

तेरे उठाने का इंतजार क्या करती।

खुद को ही ना समझ पाई,

तो तुझसे, मुझे समझने की,

क्या ही उम्मीद रखती।

अब स्थिर सी मैं विचार करती,

किस बात का मलाल हूं करती।

कोई ना आयेगा हाथ बढ़ाने,

खुद ही उठना होगा अब,

इस दुनिया के सामने।

जो तू थी, उसे फिर से लाना होगा।

अब किसी और के निर्भर ना होके,

तुझे खुद को जीतना होगा।

©ShonelSharma✍️
Shonel Sharma

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