वो बचपन के दिन - Poetry by Shonel Sharma

वो बचपन के दिन - Poetry by Shonel Sharma

Vo bachapan ke din - By Shonel Sharma

Read here the brand new poetry "वो बचपन के दिन" By Poet Shonel Sharma

  • Poetry
  • 1541
  • 07, Jan, 2022
Shonel Sharma
Shonel Sharma
  • @TheShonel

कवि शोनेल शर्मा की नई कविता "वो बचपन के दिन"

 ना कोई डर, 
 ना कोई फिकर, 
 रहते थे, शान से।

 इस दुनिया से दूर,
 थे कहीं अनजान से।

 हर पल को जीते, 
 हर पल को हंसते,
 खेलते - कूदते,
 थे दिन निकलते।

 नहीं थी कोई चिंता, 
 ना जिम्मेदारियों का था बोझ। 

 सच में वो बचपन के दिन,
 थे बड़े नादान से।
 वो पल ही थे, जो आज भी,
 मुस्कुराने की वजह बन जाते है। 

 वरना इस मतलबी दुनिया में,
 अपने भी साथ छोड़ जाते है।

Shonel Sharma

Shonel Sharma

  • @TheShonel