मैं खिलौना ना थी - Poetry by Shonel Sharma

मैं खिलौना ना थी - Poetry by Shonel Sharma

Main Khilauna Naa Thi - by Shonel Sharma

Read here the brand new poetry "मैं खिलौना ना थी" By Poet Shonel Sharma

  • Poetry
  • 3401
  • 07, Jan, 2022
Shonel Sharma
Shonel Sharma
  • @TheShonel

कवि शोनेल शर्मा की नई कविता

"मैं खिलौना ना थी"

 

मां ! मैं कोई खिलौना ना थी,
जो तोड़ दिया मुझको,
दुनियां में आने से पहले।

क्यों रोका ना बाबा को तूने,
मुझ पर औजार चलाने से पहले।

ना किलकारी की गूंज आंगन में,
ना छोटे पाँवों की चहल कदमी,
ना आंचल में तेरे छिप कर सोना,
ना भूख लगने पर दूध को रोना।

कैसे एक पल में मिटा दिया,
ख्वाब, हकीकत बनने से पहले।
क्यों मुझे खुद से दूर कर दिया,
दुनियां में आने से ही पहले।

क्यों रोका ना बाबा को तूने,
मुझे कतरों में बांटने से पहले।

क्यों मेरा अस्तित्व ही तुझको इतना खला?

ओह ! तू भी तो एक कमजोर ही नारी,
तेरी कौन और क्यों सुनता भला।। 

Shonel Sharma

Shonel Sharma

  • @TheShonel