Jimmedaar kaun? - By Shonel Sharma
Read here the brand new poetry "जिम्मेदार कौन?" By Poet Shonel Sharma
पांच साल की बच्ची की, हदें मुझे बताए।
छह मीटर की लंबी साड़ी, कैसे इन्हें पहनाए।।
कैसे ये आकर्षित करती, कैसे तुम्हें लुभाती हैं।
इन्हें मिले संस्कारों की, गलती हमें बताए।।
ना फोन के जरिए होते, ना करती सबसे बातें।
ना कोई मूवी शो चलते, ना नैन मटक्के होते।।
ना घूमना फिरना इनका, ना कोई फैशन होता।
ना हजारों दोस्त इनके, ना कोई पैशन होता।।
ना नशे की आदि होती, ना क्लब का चस्का।
ना रातें बाहर अकेले होती, ना पैसों का मस्का।।
कितना और गिरोगे अब तुम, जरा ये हमें समझाओ।
क्यों अपने कुकर्मों का, जिम्मेदार हमें ठहराओ।।
गलती तेरी, नियत तेरी, सब दोष तुम्हारा होता है।
और तू मासूम बच्चियों का भी,
चरित्र प्रमाणपत्र मांगता फिरता है।।
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