हक है मुझे सम्मान का - Poetry by Shonel Sharma

हक है मुझे सम्मान का - Poetry by Shonel Sharma

Haq Hai Mujhe Sammaan Ka - By Shonel Sharma

Read here the brand new Poetry "हक है मुझे सम्मान का" by Poet Shonel Sharma

  • Poetry
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  • 07, Jan, 2022
Shonel Sharma
Shonel Sharma
  • @TheShonel

कवि शोनेल शर्मा की नई कविता

"हक है मुझे सम्मान का"

 

हक है मुझे सम्मान का,

ना किसी एहसान का।

क्यों झुकूं आगे तेरे,

ये सर मेरे मान का।। 

 

ना कभी की शिकायत,

ना कोई बैर था।

तो क्यों दबाया था गला,

एक मेरी पहचान का।

हक है मुझे सम्मान का,

ना किसी एहसान का।। 

 

मुश्किलों की हर घड़ी में,

साथ तेरे थी खड़ी मैं।

मेरी घड़ी, तूने मुझे,

रास्ता दिखाया शमशान का।

हक है मुझे सम्मान का,

ना किसी एहसान का।। 

 

खुद का वजूद खोकर,

तेरी पहचान बनाई थी।

तोड़ा मुझे टुकड़ों में तूने,

जिम्मेदार तू हर निशान का।

हक है मुझे सम्मान का,

ना किसी एहसान का।। 

 

पाया अब तक रूप मुझमें,

सती, सावित्री, लक्ष्मी का।

अब देखेगा तू ही मुझमें,

शक्ति, काली, चंडिका।

हक है मुझे सम्मान का,

ना किसी एहसान का।।

Shonel Sharma

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  • @TheShonel