गायत्री मंत्र का अर्थ, महत्व और जाप का सही तरीका

गायत्री मंत्र का अर्थ, महत्व और जाप का सही तरीका

Meaning, Importance and correct way of chanting Gayatri Mantra

यहाँ पढ़िये गायत्री मंत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी। Read here all the details about Gayatri Mantra

  • Dharm Gyan
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  • 09, Dec, 2021
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गायत्री मंत्र का अर्थ, महत्व और जाप का सही तरीका

गायत्री मंत्र एक ऐसा मंत्र है, जिसे पढ़ने या सुनने मात्र से ही हमारे मन को शांति का अनुभव होने लगता है, मन के साथ ही हमारे तन को भी अच्छा अनुभव मिलता है।

यह वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्ता ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मन्त्र 'ॐ भूर्भुवः स्वः' और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है। इस मंत्र में सवितृ देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। इसे श्री गायत्री देवी के स्त्री रूप में भी पूजा जाता है।

गायत्री मंत्र के उच्चारण मात्र से ही हमारे मस्तिष्क में नकारात्मक विचारों का विनाश हो जाता है, हमारे अन्दर एक नयी ऊर्जा का प्रवाह होता है। हमेशा गायत्री मंत्र का जाप करने से हमारे अन्दर सकारात्मक विचारों के साथ साथ हमारा मानसिक विकास, बौद्धिक विकास, आध्यात्मिक विकास और स्मरण शक्ति बढ़ती है।

नियमित गायत्री मंत्र उच्चारण करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है, इसलिए इसे सभी मंत्रों “महामंत्र” कहा जाता है। गायत्री मंत्र को सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद से लिया गया है और गायत्री मंत्र का प्रयोग सभी भजनों में किया जाता है। गायत्री मंत्र को वेद ग्रन्थ की माता के नाम से भी जाना जाता है यह हिन्दू धर्म का सबसे उतम मंत्र है।

 

गायत्री मंत्र क्या है? 

What is Gayatri Mantra? 

 

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्,

भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्!

 

गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ

(Hindi meaning of Gayatri Mantra) 

 

हम सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा का ध्यान करते हैं, परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।

प्रभु आप ही इस सृष्टि के निर्माता हो, आप ही हम सब के दुःख हरने वाले हो, हमारे प्राणों के आधार हे परम पिता परमेश्वर, सृष्टि निर्माता मैंने आपका वर्ण कर रहा हूं।

यानि उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरुप श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरुप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। परमात्मा हमारी बुद्धि को सत्मार्ग पर प्रेरित करें।

हे परम पिता परमेश्वर मैं आपसे यही प्रार्थना करता हूं कि मुझे सद्द्बुद्धि देना और हमेशा सही मार्ग पर चलता रहूं।

 

गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या

(Explanation of each word of Gayatri Mantra)

 

गायत्री मंत्र में हर शब्द का अर्थ और महत्व अलग-अलग है जो इस प्रकार है-

= ईश्वर हमारी सबकी मदद करने वाला हर कण में मौजूद है। 

भू = पृथ्वी जो सम्पूर्ण जगत के जीवन का आधार और प्राणों से भी प्रिय है। 

भुवः = सभी दुःखों से रहित, जिसके संग से सभी दुखों का नाश हो जाता है। 

स्वः = वो स्वयं:, जो सम्पूर्ण जगत का धारण करते हैं।

तत् = उसी परमात्मा के रूप को हम सभी

सवितु = जो सम्पूर्ण जगत का उत्पादक है

र्वरेण्यं = जो स्वीकार करने योग्य अति श्रेष्ठ है

भर्गो = शुद्ध स्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन स्वरूप है

देवस्य = भगवान स्वरूप जिसकी प्राप्ति सभी करना चाहते हैं

धीमहि = धारण करें

धियो = बुद्धि को

यो = जो देव परमात्मा

नः = हमारी

प्रचोदयात् = प्रेरित करें, अर्थात बुरे कर्मों से मुक्त होकर अच्छे कर्मों में लिप्त हों।

 

गायत्री मंत्र का महत्व

(Importance of Gayatri Mantra) 

 

हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले गायत्री मंत्र को सबसे पवित्र मंत्र मानते है। माना जाता है कि सभी 4 वेदों का सार इस एक गायत्री मंत्र में समाहित है। शास्त्रों के अनुसार यह मंत्र वेदों का श्रेष्ठ मंत्र है।

गायत्री मंत्र कुल 24 अक्षरों से मिलकर बना है, इन 24 अक्षरों को देवी-देवताओं का स्मरण बीज माना गया है। इन 24 अक्षरों को शास्त्रों और वेदों के ज्ञान का आधार भी बताया गया है।

 

गायत्री मंत्र का वैज्ञानिक महत्व

(Scientific importance of Gayatri Mantra) 

 

  • गायत्री मंत्र की शुरुआत “ॐ” शब्द से होती है। ॐ शब्द का उच्चारण आपके होठ, जीभ, तालू, गले के पिछले हिस्से और खोपड़ी में कम्पन पैदा करता है। ऐसा माना जाता है कि हार्मोंस के रिलीज की वजह से दिमाग शांत रहता है।
  • गायत्री मंत्र के उच्चारण से जीभ, होठ, स्वर रज्जु और दिमाग में होने वाली कम्पन की वजह से हाइपोथेलेमस ग्रंथि से हार्मोंस का स्त्राव होता है। इस हार्मोंस की स्त्राव की वजह से इन्सान को खुश रखें वाले हार्मोंस शरीर से बाहर निकलते है। ये हार्मोंस इन्सान में शारीरिक विकारों से लड़ने की क्षमता बनाये रखते है।
  • मंत्र के उच्चारण के दौरान आपको लम्बी सांसे लेनी पड़ती है जो आपकी सांस लेने की शक्ति को मजबूत करती है, इससे न कि आपका फेफड़ा मजबूत होता है बल्कि सांस लेने से आपका रक्त संचार भी अच्छा बना रहता है।
  • मंत्र के उच्चारण साथ ही शरीर के अगल-अलग हिस्सों में होने वाले कम्पन, दिमाग में होने वाले रक्त संचार को काबू में रखते है। इस मंत्र के उच्चारण दिमाग और शरीर में मौजूद नसों में बेहतर तालमेल स्थापित करने में मदद करता है।
  • गायत्री मंत्र के उच्चारण से दिमाग नियन्त्रण में रहता है। जल्दी गुस्सा आना, आपा खो देना, पढ़ाई में मन ना लगना जैसी समस्याएं भी इस मंत्र के उच्चारण से दूर हो जाती है।

 

गायत्री मंत्र की उत्पति

(Origin of Gayatri Mantra) 

 

ऐसी मान्यता है कि गायत्री मंत्र की उत्पति सृष्टि की शुरुआत में भगवान ब्रम्हा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था। फिर ब्रम्हा जी ने इस मंत्र की व्याख्या वेदों के रूप में अपने चारों मुखों से की। ऐसा माना जाता है कि यह गायत्री मंत्र पहले सिर्फ देवी-देवताओं के लिए ही था। फिर महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तप किया और गायत्री मंत्र को आमजन तक पहुंचाया। ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र के रचियता विश्वामित्र है।

 

गायत्री मंत्र के फायदे

(Benefits of Gayatri Mantra) 

 

यदि आप नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करते है तो आपको गायत्री मंत्र के लाभ भी जरूर मिलते है जो इस प्रकार है:

  • गायत्री मन्त्र का नियमित रुप से सात बार जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ बिलकुल नहीं आती।
  • व्यक्ति का तेज बढ़ता है और मानसिक चिन्ताओं व तनाव से मुक्ति मिलती है।
  • बौद्धिक क्षमता और मेधाशक्ति यानी स्मरणशक्ति बढ़ती है।
  • गायत्री मन्त्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं।
  • इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मन्त्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।
  • गायत्री मंत्र के जाप से तन और मन शांत होता है व हमेशा सकारात्मक विचार ही आते है।
  • गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से क्रोध, इर्ष्या, गुस्सा आना जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
  • आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
  • कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।

 

गायत्री मंत्र कब करें?

(When to chant Gayatri Mantra?)

 

वैसे तो यह मंत्र कभी भी, किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन निम्न नियमों के अनुसार करने पर इसका बेहतर असर होता है। 

  • प्रातःकाल में उठते समय अस्ट कर्मों को जीतने के लिए गायत्री मंत्र का 8 बार जाप करना चाहिए।
  • सुबह पूजा में बैठे तब 108 बार इसका जप करना चाहिए।
  • हमेशा जब आप घर से पहली बार बाहर जाते है तो समृद्धि, सफलता, सिद्धि और उच्च जीवन के लिए इसका उच्चारण करना चाहिए।
  • मन्दिर में प्रवेश के दौरान इसका उच्चारण करना चाहिए।
  • हमेशा रात में सोने से पूर्व एक बार इसका उच्चारण जरूर करना चाहिए।
  • गायत्री मंत्र विश्व में सबके कल्याण एक स्रोत है। गायत्री मंत्र एक ऐसा मंत्र है, जिसकी उपासना भगवान स्वयं भी करते हैं। इसलिए इसके गुणों का वर्णन करना असंभव है। इस मंत्र के जप से हृदय शुद्ध होता है और मानसिक और शारीरिक विकार दूर होते हैं। शरीर में एक सकारात्मक शक्ति का संचार होता है।

 

गायत्री मंत्र से जुड़े कुछ सवाल

(Questions related to Gayatri Mantra) 

 

गायत्री मंत्र के ऋषि (लेखक) कौन है?

विश्वामित्र

गायत्री मंत्र के देवता कौन है?

सविता

(सविता सूर्य की संज्ञा है। सूर्य के नाना रूप हैं, उनमें सविता वह रूप है जो समस्त देवों को प्रेरित करता है।)

गायत्री मंत्र किस वेद से लिया गया है?

ऋग्वेद

गायत्री मन्त्र में कितने अक्षर व कितने चरण हैं? 

इस मन्त्र में 24 अक्षर हैं। उनमें आठ आठ अक्षरों के तीन चरण हैं।

ॐ का क्या अर्थ है? 

अ, उ, म इन तीनों मात्राओं से ॐ का स्वरूप बना है। अ अग्नि, उ वायु और म आदित्य का प्रतीक है। यह विश्व प्रजापति की वाक है। वाक का अनन्त विस्तार है किंतु यदि उसका एक संक्षिप्त नमूना लेकर सारे विश्व का स्वरूप बताना चाहें तो अ, उ, म या ॐ कहने से उस त्रिक का परिचय प्राप्त होगा जिसका स्फुट प्रतीक त्रिपदा गायत्री है।

गायत्री मंत्र कितनी बार बोलना चाहिए? 

प्रातःकाल में उठते समय अष्ट कर्मों को जीतने के लिए गायत्री मंत्र का 8 बार जाप करना चाहिए। सुबह पूजा में बैठे तब 108 बार इसका जप करना चाहिए।

गायत्री मंत्र के कितने अक्षर हैं?

गायत्री मंत्र कुल 24 अक्षरों से मिलकर बना है, इन 24 अक्षरों को देवी-देवताओं का स्मरण बीज माना गया है। इन 24 अक्षरों को शास्त्रों और वेदों के ज्ञान का आधार भी बताया गया है।

गायत्री मंत्र का दूसरा नाम क्या है?

तारक मन्त्र

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