Shri Brihaspati Chalisa
यहां पढ़िये पूरी 'श्री बृहस्पति चालीसा' । Read here full 'Shri Brihaspati Chalisa'
|| दोहा ||
प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान l
श्रीगणेश शारदसहित, बसों ह्रदय में आन ll
अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान l
दोषोंसेमैं भरा हुआ हूँ, तुम हो कृपा निधान ll
|| चौपाई ||
जय नारायण जय निखिलेशवर l
विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर ll 1 ll
यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता l
भारत भू के प्रेम प्रेनता ll 2 ll
जब जब हुई धरम की हानि l
सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी ll 3 ll
सच्चिदानंद गुरु के प्यारे l
सिद्धाश्रम से आप पधारे ll 4 ll
उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा l
ओय करन धरम की रक्षा ll 5 ll
अबकी बार आपकी बारी l
त्राहि त्राहि है धरा पुकारी ll 6 ll
मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा l
मुल्तानचंद पिता कर नामा ll 7 ll
शेषशायी सपने में आये l
माता को दर्शन दिखलाये ll 8 ll
रुपादेवि मातु अति धार्मिक l
जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख ll 9 ll
जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की l
पूजा करते आराधक की ll 10 ll
जन्म वृतन्त सुनाये नवीना l
मंत्र नारायण नाम करि दीना ll 11 ll
नाम नारायण भव भय हारी l
सिद्ध योगी मानव तन धारी ll 12 ll
ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित l
आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित ll 13 ll
एक बार संग सखा भवन में l
करि स्नान लगे चिन्तन में ll 14 ll
चिन्तन करत समाधि लागी l
सुध-बुध हीन भये अनुरागी ll 15 ll
पूर्ण करि संसार की रीती l
शंकर जैसे बने गृहस्थी ll 16 ll
अदभुत संगम प्रभु माया का l
अवलोकन है विधि छाया का ll 17 ll
युग-युग से भव बंधन रीती l
जंहा नारायण वाही भगवती ll 18 ll
सांसारिक मन हुए अति ग्लानी l
तब हिमगिरी गमन की ठानी ll 19 ll
अठारह वर्ष हिमालय घूमे l
सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें ll 20 ll
त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन l
करम भूमि आये नारायण ll 21 ll
धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी l
जय गुरुदेव साधना पूंजी ll 22 ll
सर्व धर्महित शिविर पुरोधा l
कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा ll 23 ll
ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा l
भारत का भौतिक उजियारा ll 24 ll
एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता l
सीधी साधक विश्व विजेता ll 25 ll
प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता l
भुत-भविष्य के आप विधाता ll 26 ll
आयुर्वेद ज्योतिष के सागर l
षोडश कला युक्त परमेश्वर ll 27 ll
रतन पारखी विघन हरंता l
सन्यासी अनन्यतम संता ll 28 ll
अदभुत चमत्कार दिखलाया l
पारद का शिवलिंग बनाया ll 29 ll
वेद पुराण शास्त्र सब गाते l
पारेश्वर दुर्लभ कहलाते ll 30 ll
पूजा कर नित ध्यान लगावे l
वो नर सिद्धाश्रम में जावे ll 31 ll
चारो वेद कंठ में धारे l
पूजनीय जन-जन के प्यारे ll 32 ll
चिन्तन करत मंत्र जब गायें l
विश्वामित्र वशिष्ठ बुलायें ll 33 ll
मंत्र नमो नारायण सांचा l
ध्यानत भागत भुत-पिशाचा ll 34 ll
प्रातः कल करहि निखिलायन l
मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन ll 35 ll
निर्मल मन से जो भी ध्यावे l
रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे ll 36 ll
पथ करही नित जो चालीसा l
शांति प्रदान करहि योगिसा ll 37 ll
अष्टोत्तर शत पाठ करत जो l
सर्व सिद्धिया पावत जन सो ll 38 ll
श्री गुरु चरण की धारा l
सिद्धाश्रम साधक परिवारा ll 39 ll
जय-जय-जय आनंद के स्वामी l
बारम्बार नमामी नमामी ll 40 ll
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