Why do we clap three times in front of Shivling?
सावन मास में शिवजी की पूजा के दौरान तीन बार ताली बजाने का विशेष महत्व है, जो भक्तों को उनकी प्रार्थना में सफलता दिलाता है।
सावन मास में शिवजी की पूजा और रुद्राभिषेक का एक विशेष विधान है। भगवान शिव अपने भक्तों की भेंट की एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी कृपा बनाए रखते हैं। फिर भी, भक्त उनकी पूजा में किसी भी कमी को नहीं छोड़ते और दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत और अन्य सामग्री से अभिषेक करते हैं। इसके अलावा, वे फूल और बेलपत्र भी अर्पित करते हैं। प्रत्येक भक्त अलग-अलग नियम और विधि से भगवान शिव की पूजा करते हैं।
भगवान शिव के आगे तीन बार ताली बजाने का विशेष महत्व है, हालांकि बहुत से लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती कि ऐसा क्यों किया जाता है, इसके क्या लाभ हैं, और ताली और भगवान शिव का क्या संबंध है। इस लेख में, हम इसी पर चर्चा करेंगे कि तीन बार ताली बजाने का क्या महत्व है।
भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, धतूरा, कनेर, शमी और आंकड़े का विशेष महत्व है। पूजा में रुद्राभिषेक और जलाभिषेक भी किया जाता है, और भगवान शिव के आगे तीन बार ताली बजाना भी विशेष महत्व रखता है।
कहते हैं कि पहली ताली भगवान शिव को अपनी उपस्थिति दर्शाने के लिए बजाई जाती है, दूसरी ताली अपने मन की भावनाओं, मन्नत और प्रार्थना के लिए बजाई जाती है, और तीसरी ताली शिवजी से भक्त की चरणों में स्थान प्राप्त करने के लिए प्रार्थना के रूप में बजाई जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, लंकापति रावण ने शिव पूजा के बाद तीन बार ताली बजाई थी, और इसी के बाद उसे लंका का राजपाट प्राप्त हुआ था। भगवान राम ने भी लंका जाने के लिए समुद्र पर सेतु बनाने के दौरान बालू से रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कर पूजा की थी और पूजा के बाद तीन बार ताली बजाई थी, जिससे उनके कार्य को सफलता प्राप्त हुई। इसलिए, भक्तों को अपनी पूजा और मनोकामना को पूरा करने के लिए शिव पूजा के बाद तीन बार ताली जरूर बजानी चाहिए।