जब श्री कृष्ण बने किन्नर

जब श्री कृष्ण बने किन्नर

When Shri Krishna became a eunuch

यहाँ पढ़िये श्री कृष्ण के दो बार किन्नर बनने की पौराणिक कहानी। एक बार धर्म के लिए और एक बार प्रेम के लिए थे बने थे किन्नर। Read here the mythological story of Shri Krishna becoming a eunuch twice, once for religion and once for love.

  • Pauranik kathaye
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  • 12, May, 2022
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जब श्री कृष्ण बने किन्नर

जब भी कृष्ण के जीवन काल के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले उनकी लीलाएं ही होती हैं। इऩ्हीं लीलाओं में दो बार श्री कृष्ण को किन्नर बनना पड़ा था। पहली बार प्रेम के लिए और दूसरी बार धर्म के लिए वे किन्नर बने थे। आइए जानते हैं पूरी कहानी…

 

प्यार के लिए बनें किन्नर

कथा के अनुसार एक बार राधा रानी को स्वयं पर बहुत मान हो गया। उस मान के कारण राधा का स्वभाव बदलने लगा था, सखियों द्वारा राधा को समझाने का बहुत बार प्रयास किया गया, लेकिन राधा नहीं समझीं। सखियां जितना राधा को समझातीं राधा का मान उतना ही बढ़ता जा रहा था। भगवान श्रीकृष्ण राधा से मिलना चाह रहे थे लेकिन मिल नहीं पा रहे थे। ऐसे में सखियों की सलाह के बाद कान्हा ने किन्नर रुप बना लिया और नाम रखा श्यामरी सखी।

श्यामरी सखी वीणा बजाते हुए राधा के घर के करीब आए तो राधा वीणा की स्वर लहरियों से मंत्रमुग्ध होकर घर से बाहर आयीं और श्यामरी सखी के अद्भुत रूप को देखकर देखती रह गईं। राधा ने श्यामरी सखी को अपने गले का हार भेंट करना चाहा तो श्यामरी सखी बने कान्हा ने कहा, "देना है तो अपना मानरूप रत्न दे दो। यह हार नहीं चाहिए मुझे।" राधा समझ गईं कि यह श्यामरी कोई और नहीं बल्कि श्याम ही हैं। राधा का मान समाप्त हो गया और राधा कृष्ण का मिलन हुआ।

 

धर्म के लिए बनें किन्नर

महाभारत युद्ध के दौरान पाण्डवों की जीत के लिए रणचंडी को प्रसन्न करना था। इसके लिए राजकुमार की बली दी जानी थी। ऐसे में अर्जुन के पुत्र इरावन ने कहा कि वह अपना बलिदान देने के लिए तैयार है। लेकिन इरावन ने इसके लिए एक शर्त रख दी, जिसके अनुसार वह एक रात के लिए विवाह करना चाहता था। लेकिन कोई भी कन्या किन्नर इरावन से विवाह करने को तैयार नहीं हुई, क्योंकि उसकी मौत निश्चित थी। अंत में भगवान श्री कृष्ण को ही मोहिनी रूप धारण करके इरावन से विवाह करना पड़ा।

विवाह के अगली सुबह मोहिनी रूपी कृष्ण ने विधवा बनकर पति की मृत्यु पर विलाप भी किया। तभी से हर साल बड़ी संख्या में किन्नर तमिलनाडु के ‘कोथांदवर मंदिर’ में इस परंपरा को निभाते हैं। किन्नर अपने देवता इरावन से विवाह करके अगले दिन विधवा बन जाते हैं।

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