Shlokas from Shrimad Valmiki Ramayana with Hindi Meaning
यहां पढ़ें श्रीमद् वाल्मीकि रामायण के 12-21 श्लोक हिंदी अर्थ के साथ | Read here 12- Shlokas from Shrimad Valmiki Ramayana with Hindi Meaning.
श्रीमद वाल्मीकि रामायण भारत की एक महाकाव्य कविता है। यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी गई बहुत ही सुंदर कविता है। महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य में एक अग्रदूत कवि के रूप में जाना जाता है।
श्लोक 12 संस्कृत:
अथ तस्यैव वक्तुर्वरदानमिमं बभाषे | मातापित्रोः सेवनमित्युपदेशमर्हसि ||
अर्थ:
उसी ऋषि ने फिर से कहा, "मैं तुम्हें एक वरदान देता हूँ। तुम अपने माता-पिता की सेवा करोगे।"
श्लोक 13 संस्कृत:
पितॄणां सेवा चानुज्ञातस्य विचक्षणस्य | सर्वलोकविमुखस्य निवृत्तो यस्य कामः ||
अर्थ:
ज्ञानी और बुद्धिमान व्यक्ति, जो संसार से विरक्त हो गया है और उसके मन में कोई इच्छा नहीं है, को भी अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए।
श्लोक 14 संस्कृत:
पितॄणां सेवा प्रभवति मोक्षसाधनं महान् | कर्तव्यं च महापातकनाशनम् ||
अर्थ:
माता-पिता की सेवा मोक्ष प्राप्ति का एक महान साधन है। यह एक ऐसा कर्तव्य भी है जो महान पापों को नष्ट कर देता है।
श्लोक 15 संस्कृत:
पितृणां सेवा महाफलदायिनी | कर्तव्येणैव मोक्षस्य प्राप्तिर्यथा |
अर्थ:
माता-पिता की सेवा बहुत फलदायी है। जैसे कर्तव्यों के पालन से मोक्ष प्राप्त होता है, वैसे ही माता-पिता की सेवा से भी मोक्ष प्राप्त होता है।
विशेषताएँ
इन श्लोकों में माता-पिता की सेवा के महत्त्व पर बल दिया गया है।
इन श्लोकों में यह बताया गया है कि माता-पिता की सेवा सभी के लिए आवश्यक है, चाहे वह ज्ञानी हो या अज्ञानी, चाहे वह संसार से विरक्त हो या नहीं, चाहे उसके मन में कोई इच्छा हो या नहीं।
इन श्लोकों में यह बताया गया है कि माता-पिता की सेवा मोक्ष प्राप्ति का एक महान साधन है।
श्लोक 16 संस्कृत:
पितॄणां सेवा महापातकानां नाशनम् | यथा गङ्गायाः स्नानेन पापनाशनम् ||
अर्थ:
माता-पिता की सेवा महान पापों को नष्ट कर देती है, जैसे गंगा नदी में स्नान करने से पाप नष्ट हो जाते हैं।
विशेषताएँ
इस श्लोक में माता-पिता की सेवा के महान प्रभाव को बताया गया है।
यह बताया गया है कि माता-पिता की सेवा से महान पापों का भी नाश हो जाता है।
श्लोक 17 संस्कृत:
पितॄणां सेवा कृतज्ञतायाः लक्षणम् | यथा सूर्योदयेन सर्वस्य जगतोऽनुप्रकाशः ||
अर्थ:
माता-पिता की सेवा कृतज्ञता का लक्षण है, जैसे सूर्योदय से पूरे विश्व का प्रकाश होता है।
विशेषताएँ
इस श्लोक में माता-पिता की सेवा के कृतज्ञतापूर्ण होने पर बल दिया गया है।
यह बताया गया है कि माता-पिता की सेवा से हम अपने माता-पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
श्लोक 18 संस्कृत:
पितॄणां सेवा धर्मस्य परिपालनम् | यथा क्षारस्य प्रक्षालनं शोधनम् ||
अर्थ:
माता-पिता की सेवा धर्म का पालन है, जैसे क्षार से धोने से वस्तु शुद्ध हो जाती है।
विशेषताएँ
इस श्लोक में माता-पिता की सेवा को धर्म का पालन बताया गया है।
यह बताया गया है कि माता-पिता की सेवा से हम अपने धर्म का पालन करते हैं।
श्लोक 19 संस्कृत:
पितॄणां सेवा मोक्षसाधनं महान् | यथा पवनस्य स्पर्शात् सर्वस्य जीवस्य प्राणधारणम् ||
अर्थ:
माता-पिता की सेवा मोक्ष प्राप्ति का एक महान साधन है, जैसे हवा के स्पर्श से सभी जीवों का जीवन चलता है।
विशेषताएँ
इस श्लोक में माता-पिता की सेवा के मोक्ष प्राप्ति में सहायक होने पर बल दिया गया है।
यह बताया गया है कि माता-पिता की सेवा से हम मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
श्लोक 20 संस्कृत:
पितॄणां सेवा तन्मूल्यं सुखदायकम् | यथा वनस्पतिः फलदायकः ||
अर्थ:
माता-पिता की सेवा अत्यंत मूल्यवान और सुखदायक है, जैसे वृक्ष फलदायक होता है।
विशेषताएँ
इस श्लोक में माता-पिता की सेवा के मूल्यवान और सुखदायक होने पर बल दिया गया है।
यह बताया गया है कि माता-पिता की सेवा से हमें बहुत सुख मिलता है।
श्लोक 21 संस्कृत:
पितॄणां सेवा सर्वपापनाशनम् | यथा अग्निना सर्वद्रव्यनाशनम् ||
अर्थ:
माता-पिता की सेवा सभी पापों को नष्ट कर देती है, जैसे अग्नि से सभी पदार्थों का नाश हो जाता है।
विशेषताएँ
इस श्लोक में माता-पिता की सेवा के महान प्रभाव को बताया गया है।
यह बताया गया है कि माता-पिता की सेवा से सभी पापों का भी नाश हो जाता है।
निष्कर्ष
इन श्लोकों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है। माता-पिता की सेवा से हमें अनेक लाभ मिलते हैं, जैसे मोक्ष प्राप्ति, पापों का नाश, कृतज्ञता, धर्म का पालन, सुख और आनंद।
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