Corn business reaches Rs 4,000 crore.
उत्तर प्रदेश के इटावा में धान की खेती के प्रमुख केंद्र के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने के बाद, मक्के की फसल अब तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
धान उत्पादन के प्रमुख केंद्र उत्तर प्रदेश के इटावा में अब मक्के की फसल तेजी से लोकप्रिय हो रही है। मक्के की फसल का कारोबार इतना बढ़ गया है कि इसकी कुल वैल्यू 4,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। वर्तमान में मक्के की फसल प्रति कुंटल 2,300 रुपये के दाम पर बिक रही है, और किसान मक्के की खेती के प्रति बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं। इस बढ़ती मांग के पीछे देश की प्रमुख कंपनियां हैं, जो मक्के को अच्छे दामों पर खरीदने के लिए जुटी हुई हैं।
दिलचस्प बात यह है कि मक्का बड़ी मात्रा में दक्षिण भारत के राज्यों में भी रेल के जरिए भेजा जा रहा है। प्रमुख कंपनियों में तिरुपति स्टार्च एंड केमिकल (इंदौर), किसान एग्रो फूड्स (जयपुर), ग्रिपवेल इंडस्ट्रीज (राजस्थान), पोल्ट्री फार्म (अजमेर), राजधानी एग्रो प्रोडक्ट्स (भोपाल) और खुशबू फीड मिल्स (गुरुग्राम) शामिल हैं। ये कंपनियां देश के विभिन्न हिस्सों से मक्का खरीदती हैं। इटावा के किसान मक्के की फसल से अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभ कमा रहे हैं, इसलिए उन्होंने इसे अपने खेतों में उगाना शुरू कर दिया है। मक्के की फसल से किसान अपने आर्थिक हालात को सुधारना चाहते हैं।
अरविंद यादव, जो लोकल 18 से बात कर रहे थे, ने बताया कि इटावा के किसान पिछले तीन-चार वर्षों से बड़े पैमाने पर मक्का की खेती कर रहे हैं। वर्तमान में मक्का प्रति कुंटल 2,300 रुपये के दाम पर बिक रहा है, और मक्का उगाने वाले किसानों को अन्य फसलों के मुकाबले अच्छा लाभ हो रहा है।
पहले इटावा के किसान केवल दो फसलें उगाते थे, लेकिन अब मक्के की फसल के कारण वे तीन फसलें उगाने में सक्षम हो गए हैं। एक बीघा में लगभग 8 कुंटल मक्का उगाया जा सकता है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है।
मक्का महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान की मंडियों में भेजा जाता है। मक्का को ज्यादातर शराब कंपनियां, पशु आहार निर्माता और कपड़े बनाने वाली कंपनियां खरीदती हैं। आढ़ती प्रदीप यादव बताते हैं कि मक्के से बिस्कुट, पॉपकॉर्न और बच्चों के खाने वाले आइटम तैयार किए जाते हैं।
मक्के की खेती का इतिहास लगभग 9,000 वर्ष पुराना है, जब इसे दक्षिण मध्य मेक्सिको की बालसास नदी घाटी में उगाया गया था। इसके बाद मक्का अमेरिका के अन्य हिस्सों में फैल गया। भारत में मक्का की खेती 1,600 ईस्वी के अंत में शुरू हुई और आजकल इसके उत्पादन की व्यापकता बढ़ रही है। अमेरिका में मक्का सबसे अधिक खाया जाता है, इसके बाद चीन और ब्राजील में इसका उपयोग होता है। भारत में मक्का खाने की स्थिति में सातवां स्थान रखता है।
वैश्विक स्तर पर मक्का का लगभग 20 प्रतिशत ही खाद्य उपयोग में आता है, जबकि बाकी मक्का पोल्ट्री फीड, जानवरों के चारे, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और स्टार्च बनाने के लिए इस्तेमाल होता है। आधुनिक युग में पॉपकॉर्न और बेबी कॉर्न के रूप में मक्के की खपत में काफी वृद्धि हुई है। इटावा के किसानों द्वारा मक्का की खेती में बढ़ती रुचि से ऐसा प्रतीत होता है कि इटावा मक्का उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हब बन सकता है।