The search for the man-eating tiger is continuing with 24 cameras and drones, but no success has been achieved so far.
लखीमपुर के महेशपुर वन रेंज के इमलिया गांव में आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने 4 पिंजरे, 18 कैमरे और ड्रोन का इस्तेमाल किया है। 2 दिनों की निगरानी के बावजूद बाघ का कोई ठोस सुराग नहीं मिला है।
लखीमपुर खीरी के महेशपुर वन रेंज के इमलिया गांव में अमरीश पर जानलेवा हमला करने वाले आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने व्यापक इंतजाम किए हैं। इस आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए 4 पिंजरे लगाए गए हैं, और निगरानी के लिए 18 कैमरे और ड्रोन की व्यवस्था की गई है। 2 दिन की ड्रोन निगरानी और गन्ने के खेतों में लगे कैमरों से अब तक एक बार भी बाघ का कोई ठोस सुराग नहीं मिला है।
वन विभाग लगातार ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए जागरूक कर रहा है। महेशपुर वन रेंज में इन बाघों के खौफ के कारण ग्रामीण अपने घरों से बाहर भी नहीं निकल रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, गन्ने के खेतों में बाघ की लोकेशन ट्रेस करने में कठिनाई हो रही है। ड्रोन की मदद से बाघ की खोज की गई, लेकिन उसका कोई पता नहीं चल पाया। यदि बाघ गन्ने के खेतों में छिपा हो, तो उसकी पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस क्षेत्र में गन्ने का क्षेत्रफल बहुत बड़ा है और कोई भी इसमें घुसने का रिस्क नहीं लेना चाहता।
ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। बाघ को पकड़ने के लिए 24 कैमरे और चार पिंजरे लगाए गए थे। बाघ की लगातार ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है। कुछ दिनों पहले सड़क पर बाघ को टहले हुए देखा गया था, और कैमरे में उसकी चहल-कदमी की तस्वीर भी कैद हो गई थी। इन गांवों में बाघ के खौफ के चलते ग्रामीण बाहर नहीं निकल रहे हैं। वन विभाग द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है।