The Ministry of External Affairs reacted to the construction of another bridge by China on Pangong Lake
चीन द्वारा पैंगोंग झील पर दूसरा पुल बनाने पर भारत ने तोड़ी चुप्पी कहा, अन्य देश भारत की संप्रभुता और छेत्रीय अखंडता का करें सम्मान.
कुछ दिन पहले चीन की तरफ से पैंगोंग झील पर एक पुल बनाने की कुछ तस्वीरें देखी गई थीं हालांकि अब भारत ने चीन की इस हरकत पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार यह दोनों पुल चीन के अवैध कब्जे वाले इलाके में मौजूद हैं हालांकि, विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत ने अपने छेत्र पर इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है और ना ही किसी अनुचित निर्माण गतिविधि को प्रोत्साहित किया है.
इसके अलावा विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी इलाके भारत के अभिन्न अंग है और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भी भारत की संप्रभुता और छेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे.
बॉर्डर इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने सीमा बुनियादी ढांचे को अधिक विकसित करने में ध्यान केंद्रित किया है, जिसके लिए सड़क, पुल इत्यादि बनाए गए हैं. आपको बतादूँ कि पैंगोंग झील पर चीन द्वारा एक पुल पहले ही बनाया जा चुका है और यह दूसरा चौड़ा पुल है जिसके निर्माण में चीन इस समय व्यस्त है. सैटेलाइट तस्वीरों ने यह खुलासा किया कि पहले पुल की सहायता से चीन दूसरे पुल का निर्माण कर रहा है. पहले पुल का इस्तेमाल दरअसल सर्विस पुल के रूप में किया जा रहा है. यह पुल चीन उस छेत्र में बना रहा है जिसपर चीन ने 1958 में कब्जा किया था. कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार इस पुल की मदद से भविष्य में चीन अपने सैनिकों को इकट्ठा कर सकता है और भारत को नुकसान पहुंचा सकता है. सोचने वाली बात यह है कि क्या चीन द्वारा की गई इस हरकत पर भारत की यह प्रतिक्रिया चीन को रोकने के लिए काफी है? बहरहाल अभी तक चीन की तरफ से इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि चीन अपनी इस हरकत पर क्या प्रतिक्रिया देता है और भारत सरकार इस मामले में आगे क्या कदम उठाती है.
Image source: NDTV and Times of India