खिड़की - Poetry by Shonel Sharma

खिड़की - Poetry by Shonel Sharma

Khidki - By Shonel Sharma

Read here the new Poetry " खिड़की" by Poet Shonel Sharma

  • Poetry
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  • 07, Jan, 2022
Shonel Sharma
Shonel Sharma
  • @TheShonel

कवि शोनेल शर्मा की नई कविता

"खिड़की"

 

मेरे कमरे की खिड़की,

खिड़की नहीं, दोस्त हो तुम।

सुख दुख की साक्ष्य,

जीवन का अनमोल हिस्सा हो तुम।

 

लम्हें थे खास, जब हम बैठे साथ,

घंटो तुमसे बातें किया करती थी।

तेरे आंचल से झांक,

अनंत आकाश को तांक,

मैं तुमसे अपने सपने साझा करती थी।

 

तुम बस मुझे गहराई से सुनती, 

और एक यकीं दिलाती,

मुझमें छुपी ऊर्जा का एहसास कराती।

 

हर मौसम हमने साथ बिताए,

तुझ से होकर मुझ तक आती,

बारिश, धूप, हवाएं।

 

अपने चौकोर दायरे से मुझे,

प्रकृति के सौ रंग दिखाए।

तेरे ही आंचल तले लिखी मैंने,

पहली बार अपनी भावनाएं।।

Shonel Sharma

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