"सुलगती लकड़ी" - Poetry by Shonel Sharma

"सुलगती लकड़ी" - Poetry by Shonel Sharma

Sulagti Lakdi - By Shonel Sharma

Read Here The New Hindi Poetry "सुलगती लकड़ी" By Poetess Shonel Sharma

  • Poetry
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  • 28, Mar, 2022
Shonel Sharma
Shonel Sharma
  • @TheShonel

शोनेल शर्मा की नई कविता

 "सुलगती लकड़ी"

 

वो सर्दी में

सुलगती लकड़ी जैसे, 

खुद को जलाकर

खाक हो गयी, 

दे गयी राहत

उन बेबस लोगों को, 

जो सर्द रातों में

सेक गये हाथ

महसूस कर के

उसकी तपन को।

सुबह उड़ेल दी गयी

खेत खलिहानों में।

खुद का वजूद खोकर

मिल गयी मिट्टी में।

पैरों तले रौंदी गयी, 

दर्द कितना, 

बयां न कर पाई, 

फिर भी जान नई

फूंक गयी फसलों को।

©ShonelSharma✍️

Shonel Sharma

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