श्री नवग्रह चालीसा

श्री नवग्रह चालीसा

Shri Navagraha Chalisa

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  • Chalisa
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  • 22, Dec, 2021
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श्री नवग्रह चालीसा

 

॥ दोहा ॥

श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय ।

नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय ॥

जय जय रवि शशि सोम, बुध जय गुरु भृगु शनि राज।

जयति राहु अरु केतु ग्रह, करहुं अनुग्रह आज ॥

 

॥ चौपाई ॥

॥ श्री सूर्य स्तुति ॥

प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।

हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।।

 

अब निज जन कहं हरहु कलेषा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।

नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।।

 

॥ श्री चन्द्र स्तुति ॥

शशि मयंक रजनीपति स्वामी, चन्द्र कलानिधि नमो नमामि ।

राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा ।।

 

सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर ।

तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहुं कलेशा ।।

 

॥ श्री मंगल स्तुति ॥

जय जय जय मंगल सुखदाता, लोहित भौमादिक विख्याता ।

अंगारक कुज रुज ऋणहारी, करहुं दया यही विनय हमारी ।।

 

हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांग जय जन अघनाशी ।

अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै ।।

 

॥ श्री बुध स्तुति ॥

जय शशि नन्दन बुध महाराजा, करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।

दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना, कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।।

 

हे तारासुत रोहिणी नन्दन, चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।

पूजहिं आस दास कहुं स्वामी, प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।।

 

॥ श्री बृहस्पति स्तुति ॥

जयति जयति जय श्री गुरुदेवा, करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।

देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी, इन्द्र पुरोहित विद्यादानी ।।

वाचस्पति बागीश उदारा, जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।

विद्या सिन्धु अंगिरा नामा, करहुं सकल विधि पूरण कामा ।।

 

॥ श्री शुक्र स्तुति ॥

शुक्र देव पद तल जल जाता, दास निरन्तन ध्यान लगाता ।

हे उशना भार्गव भृगु नन्दन, दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।।

 

भृगुकुल भूषण दूषण हारी, हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।

तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा, नर शरीर के तुमही राजा ।।

 

॥ श्री शनि स्तुति ॥

जय श्री शनिदेव रवि नन्दन, जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।

पिंगल मन्द रौद्र यम नामा, वप्र आदि कोणस्थ ललामा ।।

 

वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा, क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।

ललत स्वर्ण पद करत निहाला, हरहुं विपत्ति छाया के लाला ।।

 

॥ श्री राहु स्तुति ॥

जय जय राहु गगन प्रविसइया, तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।

रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा, शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।।

 

सैहिंकेय तुम निशाचर राजा, अर्धकाय जग राखहु लाजा ।

यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु, सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।।

 

॥ श्री केतु स्तुति ॥

जय श्री केतु कठिन दुखहारी, करहु सुजन हित मंगलकारी ।

ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला, घोर रौद्रतन अघमन काला ।।

 

शिखी तारिका ग्रह बलवान, महा प्रताप न तेज ठिकाना ।

वाहन मीन महा शुभकारी, दीजै शान्ति दया उर धारी ।।

 

॥ नवग्रह शांति फल ॥

तीरथराज प्रयाग सुपासा, बसै राम के सुन्दर दासा ।

ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी, दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ।।

 

नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु, जन तन कष्ट उतारण सेतू ।

जो नित पाठ करै चित लावै, सब सुख भोगि परम पद पावै ॥

 

॥ दोहा ॥

धन्य नवग्रह देव प्रभु, महिमा अगम अपार ।

चित नव मंगल मोद गृह, जगत जनन सुखद्वार ॥

यह चालीसा नवोग्रह, विरचित सुन्दरदास ।

पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख, सर्वानन्द हुलास ॥

 

॥ इति श्री नवग्रह चालीसा ॥

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