चैत्र नवरात्रि के चौथा दिन करें देवी कुष्मांडा की पूजा, जानें विधि, मंत्र, कथा और आरती।

चैत्र नवरात्रि के चौथा दिन करें देवी कुष्मांडा की पूजा, जानें विधि, मंत्र, कथा और आरती।

Worship Goddess Kushmanda on the fourth day of Chaitra Navratri, know the method, mantra, story and aarti.

नवरात्रि के चौथे दिन, मां कूष्मांडा की पूजा होती है, जो आदिशक्ति का एक स्वरूप है। मां कूष्मांडा उस स्वरूप की प्रतिष्ठा है जिनसे सृष्टि का आरंभ हुआ।

  • Pooja Vidhi
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  • 11, Apr, 2024
Jyoti Ahlawat
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Worship Goddess Kushmanda on the fourth day of Chaitra Navratri, know the method, mantra, story and aarti.

नवरात्रि के चौथे दिन, अर्थात् शुक्रवार, मां कुष्मांडा की पूजा की जाएगी। इस दिन की अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा की विधिवत पूजा से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माता का स्वरूप बहुत अद्भुत और विलक्षण है, जिनकी आठ भुजाएं हैं। उनमें से एक में कमण्डल, दूसरे में धनुष–बाण, तीसरे में कमल, चौथे में अमृत कलश, पांचवें में चक्र, छठे में गदा और सातवें और आठवें में हाथ में सिद्धियों और निधियों की जप माला है। माता की सवारी सिंह है।

मां कुष्मांडा का स्वरूप:

मां कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। इनके आठ हाथ हैं और वे सिंह पर विराजमान रहती हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, गदा, धनुष, बाण, अक्षमाला, चक्र और कमल पुष्प है, और आठवें हाथ से वे भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

पूजा विधि:

  • स्नान: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा सामग्री: कलश, दीप, फल, फूल, मिठाई, सुपारी, पान, नारियल, चंदन, रोली, मौली, अक्षत, धूप, दीप, घी, कपूर, पंचामृत, लाल वस्त्र आदि।
  • आसन: एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां कुष्मांडा की प्रतिमा स्थापित करें।
  • आह्वान: मां कुष्मांडा का आह्वान करें।
  • षोडशोपचार पूजा: मां कुष्मांडा का षोडशोपचार पूजन करें।
  • आरती: मां कुष्मांडा की आरती करें।
  • भोग: मां कुष्मांडा को भोग लगाएं।
  • हवन: यदि संभव हो तो मां कुष्मांडा का हवन करें।
  • अंतिम विसर्जन: अंत में मां कुष्मांडा का विसर्जन करें।

मां कुष्मांडा का मंत्र:

सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां कुष्मांडा की कथा:

मां कुष्मांडा की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा की नाभि से कमल के फूल से हुई थी। जब ब्रह्माजी ने इस ब्रह्मांड की रचना की तो सबसे पहले उन्होंने मां कुष्मांडा की रचना की। मां कुष्मांडा ने ही इस ब्रह्मांड को प्रकाश प्रदान किया।

मां कुष्मांडा की आरती:

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को सुख, समृद्धि, आरोग्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

यह भी ध्यान रखें:

  • पूजा करते समय एकाग्र रहें।
  • पूजा के दौरान मन में कोई नकारात्मक विचार न आने दें।
  • पूजा के बाद दान-पुण्य करें।
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