Festivals of India's Largest Temple, Sri Ranganathaswamy Temple (Srirangam Temple)
यहाँ पढ़िये भारत के सबसे बड़े मंदिर, श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के उत्सवों के बारे में। Read here about the festivals of India's largest temple, Sri Ranganathaswamy Temple.
Sri Ranganathaswamy Temple (Srirangam Temple) Festival
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर भगवान रंगनाथ को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। भगवान रंगनाथ को श्री विष्णु का ही अवतार माना जाता है। यह मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम में स्थित है इसलिए इसे श्रीरंगम मंदिर (Srirangam Temple) भी कहा जाता हैं। श्रीरंगम मंदिर तमिलनाडु में बहने वाली पावन नदी, कावेरी नदी से एक ओर से घिरा है और वहीं दूसरी तरफ से कोलिदम (कोलेरून) से घिरा हुआ है।
श्रीरंगम मंदिर में हर साल एक वार्षिक उत्सव मनाया जाता है। उत्सव के समय देवी-देवताओ की मूर्तियों को गहनों से सुशोभित भी किया जाता है। स्थानिय लोग धूम-धाम से इस उत्सव को मनाते है।
वैकुण्ठ एकादशी - तमिल मर्गाज्ही माह (दिसम्बर-जनवरी) में पागल पथु (10 दिन) और रा पथु (10 दिन) नाम का 20 दिनों तक चलने वाला उत्सव मनाया जाता है। जिसके पहले 10 दिन पागल-पथु (10 दिन) उत्सव मनाया जाता है और अगले 10 दिनों तक रा पथु नाम का उत्सव मनाया जाता है। रा पथु के पहले दिन वैकुण्ठ एकादशी मनायी जाती है। तमिल कैलेंडर में इस उत्सव की ग्यारहवी रात को एकादशी कहा जाता है, सबसे पवित्र वैकुण्ठ एकादशी को माना जाता है।
श्रीरंगम मंदिर ब्रह्मोत्सव - ब्रह्मोत्सव का आयोजन तमिल माह पंगुनी (मार्च-अप्रैल) में किया जाता है। उत्सव के दुसरे दिन, देवता की प्रतिमा को मंदिर में गार्डन के भीतर ले जाया जाता है। इसके बाद तीसरे दिन देवताओं को कावेरी नदी से होते हुए जियार्पुरम ले जाया जाता है।
स्वर्ण आभूषण उत्सव - मंदिर में मनाये जाने वाले वार्षिक स्वर्ण आभूषण उत्सव को ज्येष्ठाभिषेक के नाम से जाना जाता है, जो तमिल माह आनी (जून-जुलाई) के समय में मनाया जाता है। इस उत्सव में देवता की प्रतिमाओं को सोने और चाँदी के भगोनो में पानी लेकर डुबोया जाता है।
रथोत्सव - मंदिर में मनाये जाने वाले दुसरे उत्सवों में मुख्य रूप से रथोत्सव शामिल है, जिसका आयोजन तमिल माह थाई (जनवरी-फरवरी) में किया जाता है और मंदिर के मुख्य देवता को रथ पर बिठाकर मंदिर की परिक्रमा करायी जाती है।
चैत्र पूर्णिमा आयोजन - मंदिर में पौराणिक गज-गृह घटनाओं के आधार पर चैत्र पूर्णिमा का भी आयोजन किया जाता है। इस कथा के अनुसार एक हाथी मगरमच्छ के जबड़े में फंस जाता है और भगवान रंगनाथ ही उनकी सहायता करते है।
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